नई दिल्ली। भीषण गर्मी के कारण उत्तर भारत के कई हिस्सों में हीटस्ट्रोक के मामले बढ़ने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों को हीटस्ट्रोक के मरीजों का प्राथमिकता के आधार पर इलाज करने की सलाह जारी की है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने केंद्र द्वारा संचालित सरकारी अस्पतालों की स्थिति और तैयारियों की समीक्षा की है और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि विशेष हीटवेव इकाइयां शुरू की जाएं ताकि मरीजों को सर्वोत्तम संभव देखभाल दी जा सके।
इस गर्मी में राष्ट्रीय राजधानी के केवल तीन प्रमुख अस्पतालों में हुई 20 मौतों के साथ दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने लोगों के लिए हीटस्ट्रोक और अन्य गर्मी से संबंधित मुद्दों से खुद को बचाने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।
लोक नायक अस्पताल में दो लोगों की मौत
दिल्ली के सरकारी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 27 मई से गर्मी से संबंधित समस्याओं वाले 45 मरीजों को भर्ती कराया गया है। अस्पताल ने तब से ऐसी समस्याओं के कारण नौ मौतों की सूचना दी है और इनमें से सात मौतें पिछले दो दिन में हुई हैं। इस गर्मी में सफदरजंग अस्पताल में भी नौ लोगों की मौत हुई है, जिसमें बुधवार को पांच लोग शामिल हैं और पिछले सात दिनों में लोक नायक अस्पताल में दो लोगों की मौत हुई है।
हीटस्ट्रोक के लक्षण वाले मरीजों को राष्ट्रीय राजधानी के कई अन्य अस्पतालों में भी भर्ती कराया गया है।
मृत्यु दर उच्च
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शुक्ला ने चेतावनी दी कि हीटस्ट्रोक के मामलों में मृत्यु दर लगभग 60-70 प्रतिशत है। अगर मरीज को देर से अस्पताल लाया जाता है, तो एक के बाद एक अंग खराब होने लगते हैं। जागरूकता की कमी है। इनमें से बहुत से मरीज प्रवासी मजदूर हैं। यह तभी होता है जब मरीज़ बेहोश हो जाते हैं और उनके रिश्तेदारों को लगता है कि अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत है।”