नई दिल्ली। मेघालय में लगभग 4,000 टन कोयले के गायब होने पर हाईकोर्ट की फटकार के बाद राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री किरमेन श्याला ने विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि मेघालय में भारी बारिश के कारण कोयला बहकर पड़ोसी असम और बांग्लादेश में चला गया होगा। यह कोयला दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स जिले के रानीकोर ब्लॉक में राजाजु और डिएंगनगांव गांवों के दो कोयला डिपो से गायब हुआ, जिसे पहले आधिकारिक रूप से सर्वेक्षण और रिकॉर्ड किया गया था।
श्याला ने शिलांग में पत्रकारों से कहा, “मेघालय में सबसे अधिक बारिश होती है। आप कभी नहीं जानते… बारिश के कारण कोयला बह गया हो सकता है। संभावना बहुत अधिक है।” हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह गायब होने को सही ठहराने की कोशिश नहीं कर रहे और स्वीकार किया कि गायब होने का कारण प्राकृतिक है या अवैध गतिविधियों के कारण, इसका कोई ठोस सबूत नहीं है।
व्यक्तियों और अधिकारियों की पहचान करने का निर्देश दिया
मेघालय हाईकोर्ट ने 25 जुलाई को सरकार को फटकार लगाते हुए कोयले की अवैध ढुलाई की अनुमति देने वाले व्यक्तियों और अधिकारियों की पहचान करने का निर्देश दिया। जस्टिस (रिटायर्ड) बीपी कटाके समिति की 31वीं अंतरिम रिपोर्ट में इस गायब कोयले का उल्लेख किया गया, जिसने अवैध खनन और परिवहन पर सवाल उठाए। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 2014 में पर्यावरणीय चिंताओं और असुरक्षित खनन प्रथाओं, विशेष रूप से ‘रैट-होल’ खनन के कारण मेघालय में कोयला खनन और परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल पूर्वी जयंतिया हिल्स में वैज्ञानिक खनन शुरू हुआ, लेकिन कार्यकर्ताओं का आरोप है कि अवैध खनन जारी है।
कई विभाग इसकी निगरानी के लिए जिम्मेदार
श्याला ने कहा कि अवैध खनन के आरोपों के लिए ठोस सबूत चाहिए और कई विभाग इसकी निगरानी के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने आशा जताई कि वैज्ञानिक खनन की घोषणा के बाद लोग कानून का पालन करेंगे। हाईकोर्ट के जस्टिस एचएस थंगख्यू की बेंच ने सरकार को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और अवैध कोयला ढुलाई को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है। यह मामला मेघालय में अवैध कोयला व्यापार की गंभीर समस्या को उजागर करता है।