नई दिल्ली। म्यांमार में शुक्रवार को रमजान के पवित्र महीने के दौरान एक शक्तिशाली भूकंप ने भारी तबाही मचाई। रिक्टर पैमाने पर 7.7 तीव्रता का यह भूकंप मांडले के पास दोपहर में आया, जब देश के मुस्लिम अल्पसंख्यक जुमे की नमाज अदा कर रहे थे। स्प्रिंग रिवॉल्यूशन म्यांमार मुस्लिम नेटवर्क के स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य टुन क्यी ने बताया कि इस आपदा में 700 से अधिक नमाजी मारे गए।
भूकंप के कारण करीब 60 मस्जिदें क्षतिग्रस्त हो गईं या पूरी तरह ढह गईं। यह स्पष्ट नहीं है कि मस्जिदों में मारे गए लोगों को आधिकारिक मृतक संख्या में शामिल किया गया है या नहीं, जो अब तक 1,700 से अधिक बताई जा रही है।
ज्यादातर मस्जिदें काफी पुरानी थी
भूकंप का केंद्र मांडले से कुछ दूरी पर था, जो म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में मस्जिदों के ढहने और लोगों के भागते हुए दृश्य देखे जा सकते हैं। टुन क्यी ने कहा कि ज्यादातर प्रभावित मस्जिदें पुरानी इमारतें थीं, जो भूकंप के झटकों को सहन नहीं कर सकीं।
मांडले में ही एक मस्जिद के पास रहने वाले 25 वर्षीय ह्तेत मिन ऊ ने रॉयटर्स को बताया कि नमाज से पहले वुज़ू करते वक्त उनकी मस्जिद और घर का हिस्सा ढह गया, जिसमें उनके दो चाचा और दादी दब गए। उन्होंने हाथों से मलबा हटाने की कोशिश की, लेकिन भारी उपकरणों के अभाव में सफलता नहीं मिली।
म्यांमार में अब तक 1700 लोगों की मौत
म्यांमार की सैन्य सरकार ने बताया कि भूकंप से अब तक 1,700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, 3,400 घायल हैं और 300 से ज्यादा लापता हैं। मांडले में राहत कार्य जारी हैं, लेकिन गर्मी और संसाधनों की कमी इसे मुश्किल बना रही है। भूकंप के बाद 6.7 तीव्रता का एक आफ्टरशॉक भी आया, जिसने बचाव प्रयासों को और जटिल कर दिया। भारत समेत कई देशों ने मदद की पेशकश की है, जिसमें राहत सामग्री भेजी जा रही है।
भूकंप ने मुस्लिम समुदाय को गहरा आघात दिया
इस त्रासदी ने म्यांमार के मुस्लिम समुदाय को गहरा आघात पहुंचाया है, जो पहले से ही देश में चल रहे संघर्षों से प्रभावित है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दशकों में म्यांमार का सबसे घातक भूकंप हो सकता है। तबाही के बीच, लोग अपने प्रियजनों को खोजने के लिए मलबे में जुटे हैं, लेकिन उम्मीदें धीरे-धीरे कम हो रही हैं।