नई दिल्ली। भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने की 30 अप्रैल की समय सीमा को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया। यह फैसला मानवीय आधार पर लिया गया, ताकि अटारी-वाघा बॉर्डर पर डिपोर्टेशन के दौरान होने वाली अव्यवस्था और भावनात्मक परेशानियों को कम किया जा सके। गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस को निर्देश दिया कि पाकिस्तानी नागरिकों को जबरन निकाले बिना उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाए।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, के बाद भारत ने सख्त कदम उठाए थे, जिसमें अटारी बॉर्डर बंद करना, सिंधु जल संधि निलंबित करना और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल था। सरकार ने पहले 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया था, जिसके बाद 24 से 27 अप्रैल तक 537 पाकिस्तानी नागरिक अटारी बॉर्डर के रास्ते लौटे। इस दौरान 850 भारतीय नागरिक भी पाकिस्तान से वापस आए।
अटारी बॉर्डर पर कई भावुक दृश्य देखने को मिले
अटारी बॉर्डर पर भावुक दृश्य देखने को मिले, जहां परिवार बिछड़ गए। कई पाकिस्तानी नागरिक, जो रिश्तेदारों से मिलने या शादी समारोह में आए थे, समय से पहले लौटने को मजबूर हुए। कुछ भारतीय पासपोर्ट धारक महिलाएं, जो पाकिस्तान में शादीशुदा हैं, अपने बच्चों के साथ वापसी में मुश्किलों का सामना कर रही थीं। उदाहरण के लिए, मेरठ की सना को उसके पाकिस्तानी पासपोर्ट धारक बच्चों के साथ बॉर्डर पर रोका गया।
गृह मंत्रालय ने मानवीय आधार पर दी राहत
नए निर्देशों के तहत, गृह मंत्रालय ने मानवीय आधार पर राहत देते हुए कहा कि गंभीर बीमारी, गर्भवती महिलाओं, बच्चों या बुजुर्गों के मामलों में विशेष विचार किया जाएगा। पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि निकासी प्रक्रिया अब व्यवस्थित होगी, और कोई सख्त समय सीमा नहीं होगी। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सभी पाकिस्तानी नागरिकों की जांच और पंजीकरण अनिवार्य रहेगा।
इस फैसले से अटारी बॉर्डर पर तनाव कुछ कम हुआ है, लेकिन भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बना हुआ है। सरकार ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ सख्ती जारी रहेगी।