नई दिल्ली। भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत के कार्यकारी निदेशक डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी हैं। 30 अप्रैल 2025 को मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) ने जारी आदेश में कहा कि सुब्रमण्यन का कार्यकाल, जो नवंबर 2025 तक चलना था, तुरंत खत्म किया जा रहा है।
अगस्त 2022 में नामित और 1 नवंबर 2022 से पद संभालने वाले सुब्रमण्यन भारत, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। IMF की वेबसाइट के अनुसार, 3 मई 2025 से यह पद खाली है।
MF डेटासेट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए
सुब्रमण्यन 2018 से 2021 तक भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) रहे। उन्होंने IMF डेटासेट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे, जिसे संस्था ने नकारात्मक रूप से लिया। फरवरी 2025 में, उन्होंने और उनके दो वरिष्ठ सलाहकारों ने IMF की रेटिंग पद्धति को पक्षपातपूर्ण और भ्रामक बताया था।
सूत्रों के अनुसार, उनकी कार्यशैली और हालिया पुस्तक “India @ 100” के प्रचार से संबंधित अनुचित व्यवहार के आरोप भी कारण हो सकते हैं। हालांकि, सरकार ने आधिकारिक रूप से कोई कारण नहीं बताया।
9 मई को पाकिस्तान को वित्तीय मदद दिए जाने का होगा फैसला
यह फैसला 9 मई को होने वाली IMF बोर्ड की बैठक से ठीक पहले आया, जिसमें पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के विस्तारित फंड सुविधा के तहत नई किश्त पर चर्चा होगी। भारत इस बैठक में विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक परमेश्वरन अय्यर के माध्यम से अपना वोट देगा। यह कदम भारत की पाकिस्तान को वित्तीय सहायता रोकने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
सुब्रमण्यन की वापसी असामान्य है, क्योंकि उनके पूर्ववर्ती सुरजीत भल्ला ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। सरकार जल्द ही उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति कर सकती है। सुब्रमण्यन ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। उनकी अकादमिक पृष्ठभूमि, जिसमें IIT कानपुर, IIM कलकत्ता और शिकागो बूथ स्कूल से पीएचडी शामिल है, उन्हें आर्थिक नीति और बैंकिंग में विशेषज्ञ बनाती है।