नई दिल्ली। भारत ने 1971 के बाद पहली बार 244 जिलों में व्यापक नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित की, जिसका उद्देश्य आपातकालीन तैयारियों का परीक्षण करना था। यह अभ्यास 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। गृह मंत्रालय ने इसे नए और जटिल खतरों के खिलाफ तैयारियों का हिस्सा बताया। ड्रिल में हवाई हमले के सायरन, ब्लैकआउट और निकासी योजनाओं का अभ्यास शामिल था, जो 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 259 स्थानों पर आयोजित हुआ।
राज्य-वार ब्लैकआउट समय
दिल्ली के एनडीएमसी क्षेत्र में रात 8:00 से 8:15 बजे तक पूर्ण ब्लैकआउट रहा, हालांकि राष्ट्रपति भवन, पीएम आवास और अस्पतालों को छूट दी गई। मुंबई में दोपहर 4:00 बजे 60 स्थानों पर सायरन बजे, जिसके बाद 5 मिनट का ब्लैकआउट हुआ। बरेली (यूपी) में रात 8:00 से 8:10 बजे तक ब्लैकआउट था, जहां निवासियों से लाइट, इनवर्टर और फ्लैशलाइट बंद करने को कहा गया।
गुजरात में 18 जिलों में ब्लैकआउट समय अलग-अलग
पूर्वी क्षेत्र में 7:30 से 8:00 बजे, पश्चिमी में 8:00 से 8:30 बजे, और मध्य में 8:30 से 9:30 बजे। केरल के 14 जिलों और विशाखापत्तनम में दोपहर 4:00 बजे से ड्रिल शुरू हुई, जिसमें रात 7:00 बजे ब्लैकआउट शामिल था। देहरादून में पांच स्थानों पर दोपहर 4:00 बजे सायरन बजा।
ड्रिल का उद्देश्य हवाई हमले, ब्लैकआउट और निकासी की स्थिति में नागरिकों और अधिकारियों की तैयारियों का परीक्षण करना था। स्कूलों, अस्पतालों और रेलवे स्टेशनों जैसे स्थानों पर अभ्यास हुआ। नागरिकों को मेडिकल किट, टॉर्च, मोमबत्ती और नकदी तैयार रखने की सलाह दी गई। गृह सचिव गोविंद मोहन ने राज्यों के साथ समीक्षा बैठक की, जिसमें एनडीआरएफ, पुलिस और एनसीसी शामिल थे। यह ड्रिल भारत की आतंकवाद विरोधी नीति और युद्धकालीन रणनीति को मजबूत करने का संदेश देती है।