नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती और राज्य के मंत्री बायरती सुरेश को मायसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) घोटाले में जारी समन रद्द करने के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ED की कार्रवाई को “राजनीतिक लड़ाई” का हिस्सा बताते हुए कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, “हमें कुछ कहने के लिए मजबूर न करें, वरना हम सख्त टिप्पणी करेंगे।”
मामला MUDA द्वारा कथित अनियमित भूखंड आवंटन से संबंधित है, जिसमें पार्वती और सुरेश पर अनुचित तरीके से भूखंड प्राप्त करने का आरोप है। ED ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी और दोनों को समन जारी किया था। हालांकि, कर्नाटक हाई कोर्ट ने इन समनों को रद्द कर दिया था, जिसके खिलाफ ED ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए ED की याचिका खारिज कर दी और कहा कि यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित लगता है।
‘ईडी बार-बार ऐसे मामलों में क्यों शामिल हो रही है, जो विवादों से जुड़े हैं’
मुख्य न्यायाधीश गवई ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) से सवाल किया कि ED बार-बार ऐसे मामलों में क्यों शामिल हो रही है, जो राजनीतिक विवादों से जुड़े हैं। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग “न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर करता है।” इस फैसले से सिद्धारमैया और उनकी पत्नी को बड़ी राहत मिली है, जबकि ED की कार्रवाई पर सवाल उठे हैं।
कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया
कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इसे “सत्य की जीत” बताया और कहा कि यह फैसला केंद्र सरकार की “बदले की राजनीति” को बेनकाब करता है। दूसरी ओर, BJP ने दावा किया कि जांच अभी खत्म नहीं हुई है और कानून अपना काम करेगा। यह मामला कर्नाटक की सियासत में और तूल पकड़ सकता है, क्योंकि विपक्ष इस मुद्दे को विधानसभा चुनाव से पहले भुनाने की कोशिश कर सकता है।