‘व्यंग्य को समझते हैं, यह ‘सुपारी’ लेकर बोलने जैसा लगता है’, कामरा विवाद पर बोले डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के बीच विवाद ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब कुणाल कामरा ने अपने हालिया शो ‘नया भारत’ में एकनाथ शिंदे पर तंज कसते हुए उन्हें “गद्दार” कहकर व्यंग्य किया।

कामरा ने बॉलीवुड फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के एक गाने को पैरोडी बनाकर शिंदे के 2022 में शिवसेना से बगावत और भाजपा के साथ गठबंधन करने की घटना पर चुटकी ली। इस टिप्पणी के बाद शिंदे समर्थक शिवसैनिकों ने मुंबई के खार इलाके में ‘द हेबिटेट’ स्टूडियो में तोड़फोड़ की, जहां यह शो रिकॉर्ड हुआ था। साथ ही, कामरा के खिलाफ खार पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई।

किसी के कहने पर सुपारी लेकर बोलने जैसा लगता है: शिंदे

एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को इस मामले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी। बीबीसी मराठी के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और हम व्यंग्य को समझते हैं, लेकिन इसकी एक सीमा होनी चाहिए। यह किसी के कहने पर ‘सुपारी’ लेकर बोलने जैसा लगता है।” शिंदे ने कामरा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट और अन्य बड़े व्यक्तियों पर टिप्पणी कर चुके हैं। उन्होंने तोड़फोड़ पर कहा, “दूसरे पक्ष को भी स्तर बनाए रखना चाहिए, वरना हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है।”

नेताओं का बर्दाश्त नहीं किया जाएगा: फडणवीस

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कामरा से माफी की मांग की और कहा, “हास्य ठीक है, लेकिन नेताओं का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” वहीं, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कानूनी सीमाओं का पालन करने की सलाह दी। दूसरी ओर, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कामरा का समर्थन करते हुए कहा, “कुणाल ने कुछ गलत नहीं कहा। गद्दार को गद्दार कहना सच है।”

नेताओं पर हंसी-मजाक गैरकानूनी नहीं: कामरा

कामरा ने सोमवार रात अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा, “नेताओं पर हंसी-मजाक करना गैरकानूनी नहीं है। मेरी अभिव्यक्ति का अधिकार शक्तिशाली लोगों की तारीफ तक सीमित नहीं है।” उन्होंने स्टूडियो पर हमले की निंदा की और कहा कि यह उनकी कॉमेडी के लिए जिम्मेदार नहीं है। मुंबई पुलिस ने कामरा को समन जारी किया है और जांच शुरू कर दी है। इस घटना ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक व्यंग्य की सीमाओं पर बहस छेड़ दी है, जिसमें सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं।

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