नई दिल्ली। केंद्रीय आईटी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा संचालित स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा का स्वागत करते हुए एक पोस्ट साझा की थी, लेकिन कुछ ही घंटों बाद इसे डिलीट कर दिया गया। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक और तकनीकी हलकों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या था पोस्ट में?
अश्विनी वैष्णव ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा था, “भारत डिजिटल क्रांति की ओर तेजी से बढ़ रहा है। स्टारलिंक जैसी सेवाएं कनेक्टिविटी को और मजबूत बनाएंगी।”
इस बयान को विशेषज्ञों ने स्टारलिंक की भारत में एंट्री के लिए एक सकारात्मक संकेत माना। लेकिन कुछ घंटों के भीतर ही यह पोस्ट डिलीट कर दी गई, जिससे अटकलों का दौर शुरू हो गया।
पोस्ट हटाने के पीछे की वजह?
सूत्रों के मुताबिक, पोस्ट हटाने के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:
1. सरकार की नीतिगत अस्पष्टता: भारत सरकार अभी तक सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए ठोस नीतिगत ढांचा तैयार कर रही है। ऐसे में किसी एक विदेशी कंपनी का खुले तौर पर स्वागत करना सरकारी नीति के खिलाफ हो सकता है।
2. भारतीय कंपनियों की चिंता: देश में जियो स्पेसफाइबर और वनवेब जैसी कंपनियां पहले से ही सैटेलाइट इंटरनेट सेक्टर में प्रवेश कर रही हैं। सरकार शायद यह संकेत नहीं देना चाहती कि वह विदेशी कंपनियों को स्थानीय खिलाड़ियों से ज्यादा तरजीह दे रही है।
3. एलन मस्क की भारत यात्रा: हाल ही में खबर आई थी कि एलन मस्क जल्द ही भारत का दौरा कर सकते हैं। इस यात्रा के दौरान टेस्ला और स्टारलिंक को लेकर बड़े ऐलान हो सकते हैं। ऐसे में सरकार कोई भी आधिकारिक रुख अपनाने से पहले पूरी रणनीति तय करना चाहती है।
स्टारलिंक और भारत में इंटरनेट बाजार
स्टारलिंक, जो पहले भी भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की कोशिश कर चुका है, को 2021 में बिना लाइसेंस सेवाएं बेचने के लिए चेतावनी मिली थी। अब कंपनी एक बार फिर बाजार में प्रवेश करने की योजना बना रही है, लेकिन इसे भारतीय दूरसंचार कानूनों का पालन करना होगा।
अश्विनी वैष्णव की पोस्ट और उसके बाद की गई डिलीटिंग से स्पष्ट है कि सरकार अभी सैटेलाइट इंटरनेट सेक्टर में अपने रुख को लेकर पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर अधिक स्पष्टता आ सकती है।