बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली के एम्स में ली आखिरी सांस

नई दिल्ली। बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर को निधन हो गया। अपने छठ गीतों के लिए जानी जाती थीं। पद्म भूषण से सम्मानित लोक गायिक को को 27 अक्टूबर को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने इंस्टाग्राम पर इस खबर की पुष्टि की। अंशुमन सोशल मीडिया पर उनके स्वास्थ्य के बारे में लगातार अपडेट कर रहे थे।

अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल से शारदा सिन्हा की एक तस्वीर साझा करते हुए अंशुमन ने लिखा, “आपकी प्रार्थनाएं और प्यार हमेशा मेरी मां के साथ रहेगा। छठी मैया ने उन्हें अपने पास बुलाया है। वह अब शारीरिक रूप में हमारे साथ नहीं हैं ।”

पीएम मोदी लगातार उनके स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए थे

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शारदा सिन्हा की हालत पर लगातार नजर रख रहे थे और डॉक्टरों के संपर्क में थे। इससे पहले आज, अंशुमन ने साझा किया कि पीएम मोदी ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें उनकी मां के इलाज के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया है। लोक गायिका के बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों में चिंता आ गई थी। बता दें, शारदा सिन्हा का आखिरी प्री-रिकॉर्डेड गाना ‘दुखवा मिटायिन छठी मईया’ छठ 2024 से पहले 4 नवंबर को रिलीज किया गया था।

बिहार कोकिला के नाम से फेमस थीं शारदा सिन्हा

शारदा सिन्हा को प्यार से ‘बिहार कोकिला’ के नाम से जाना जाता है। वह एक प्रसिद्ध भारतीय लोक गायिका थीं, जिन्हें भोजपुरी, मैथिली और मगही संगीत में उनके अपार योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने बिहार के पारंपरिक संगीत को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके सबसे लोकप्रिय गानों में केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके, हे छठी मईया, हो दीनानाथ, बहंगी लचकत जाए, रोजे रोजे उगेला, सुना छठी माई, जोड़े जोड़े सुपावा और पटना के घाट पर शामिल हैं। उन्हें 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

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