नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गुट ने कार्यवाही से पहले शुक्रवार को संसद भवन के बाहर एक साथ विरोध प्रदर्शन किया। इससे पहले गुरुवार को संसद परिसर के अंदर दोनों गुटों के बीच जमकर प्रदर्शन हुआ था।
राज्यसभा और लोकसभा दोनों में आज हंगामेदार कार्यवाही देखने की उम्मीद है। इस दौरान महत्वपूर्ण कानून, गरमागरम बहस और लगातार व्यवधानों से भरा शीतकालीन सत्र समाप्त हो रहा है। संविधान, संघवाद और लोकतंत्र पर चर्चा, बीआर अंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी से जुड़े विवाद, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव और प्रियंका गांधी वाड्रा का लोकसभा में पदार्पण उन कई मुद्दों में से थे, जिन्होंने संसद में राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया।
सत्र पहले ही हफ्ते से हंगामेदार रहा
25 नवंबर को शुरू हुआ यह सत्र अपने पहले ही सप्ताह में व्यवधान और स्थगन के कारण प्रभावित हुआ। विपक्षी दलों ने विभिन्न मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें गौतम अडानी पर अमेरिकी अभियोग पर चर्चा की मांग भी शामिल थी। सरकार द्वारा इस तरह की चर्चा की अनुमति देने से इनकार करने के कारण विरोध प्रदर्शन हुआ और कार्यवाही लगभग पूरी तरह से रद्द हो गई।
सत्र का मुख्य आकर्षण वन नेशन वन इलेक्शन रहा
सत्र का मुख्य आकर्षण ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक था, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव का प्रस्ताव करता है। कई दलों के कड़े विरोध के बीच, विधेयक को आगे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया, जिन्होंने तर्क दिया कि यह संघवाद को कमजोर करता है।