पवन चोपड़ा, चंडीगढ़। बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी द्वारा संविधान बचाओ, जातीय जनगणना दलित और पिछड़े समाज को आधार बना भाजपा पर स्वर्ण समाज के हितैषी होने का आरोप लगाया था। इसके चलते भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार बनने से रोकने वाली कांग्रेस पार्टी उनके सहयोगी और राहुल गांधी के हाथ से हरियाणा में नायब सैनी के रूप में दोबारा से ओबीसी चेहरा और पहली बार प्रदेश राजनीति में पिछड़ा वर्ग से पांच मंत्री बनाकर भाजपा ने कांग्रेस को बैक फुट पर धकेलने का काम किया।
इसके अलावा मुख्यमंत्री के बाद नंबर तीन पर दलित समाज से बड़े चेहरे के रूप में रिकॉर्ड छठी बार विधानसभा पहुंचे कृष्ण पवार और वाल्मीकि समुदाय से कृष्ण बेदी को मंत्री पद की शपथ दिलवा दलित समुदाय को भी साधने का काम किया है। शायद यह प्रदेश मंत्रिमंडल में पहला मौका होगा, जब प्रदेश की 40% आबादी ओबीसी से हरियाणा में मुख्यमंत्री के अलावा चार मंत्री भी ओबीसी समाज से लिए गए हैं।
हर तबके के लोगों को मिला मंत्री पद
जबकि जाट जाट समुदाय से 2 ब्राह्मण समुदाय से दो वैश्य वे पंजाबी समाज से एक-एक मंत्री लिया गया है। ऐसे में भाजपा पिछले तीन चुनावों देश की सत्ता के शिखर पर सवार है। इसमें सबसे बड़ा सहयोग ओबीसी समाज का है इसके अलावा राजपूत ब्राह्मण पंजाबी दलित समाज भी भाजपा के साथ खुलकर कदमताल कर रहा है। हरियाणा में तीसरी बार कमल खिलाने में दलित समाज का अहम रोल माना जा रहा है।
भाजपा का यह कदम महाराष्ट्र और बिहार के चुनाव में मास्टरस्ट्रोक साबित होगा। भाजपा की चुनाव लड़ने वाली माइक्रो मैनेजमेंट को कोई भी राजनीतिक दल समझ नहीं पाया है। एक बार फिर से इस रणनीति के तहत भाजपा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन राज्य में होने वाले चुनाव से पहले ही बढ़त लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।