‘एमके स्टालिन के हाथों खून’, चेन्नई में NEET अभ्यर्थी की आत्महत्या से खड़ा हुआ राजनीतिक विवाद

नई दिल्ली। तमिलनाडु से एक दुखद खबर सामने आई है, जहां 21 साल की नीट परीक्षा की तैयारी कर रही एक छात्रा देवदर्शिनी ने आत्महत्या कर ली। यह घटना शुक्रवार को हुई, जब वह अपने घर पर थी। पुलिस के अनुसार, देवदर्शिनी ने पहले भी तीन बार नीट परीक्षा दी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। चौथी बार की तैयारी के दौरान वह भारी तनाव में थी। इस घटना ने एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था में परीक्षा के दबाव और छात्रों की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए हैं।

देवदर्शिनी चेन्नई के अन्ना नगर इलाके में एक निजी कोचिंग सेंटर में पढ़ाई कर रही थी। गुरुवार को कोचिंग से लौटने के बाद उसने अपने पिता से अपनी परेशानियां साझा की थीं। उसने बार-बार असफलता, समय की बर्बादी और परिवार पर आर्थिक बोझ को लेकर चिंता जताई। पिता ने उसे समझाया और पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। अगले दिन सुबह, वह अपने माता-पिता के साथ उनकी बेकरी में थी। वहां से वह घर लौटी और कुछ देर बाद जब वह वापस नहीं आई, तो परिवार को चिंता हुई।

राज्य में लंबे समय से है नीट को खत्म करने की मांग

देवदर्शिनी के माता-पिता किलंबक्कम में एक बेकरी चलाते हैं। शुक्रवार को जब वह घर नहीं लौटी, तो माता-पिता ने उसे फोन किया, लेकिन जवाब नहीं मिला। घर पहुंचने पर उन्होंने उसे साड़ी से छत से लटका हुआ पाया। पुलिस को सूचना दी गई और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना तमिलनाडु में नीट परीक्षा से जुड़ी आत्महत्याओं की श्रृंखला में एक और दुखद कड़ी है। राज्य में नीट को खत्म करने की मांग लंबे समय से चल रही है।

विपक्षी दल ने उठाए स्टालिन सरकार पर सवाल

विपक्षी दल AIADMK ने सत्तारूढ़ DMK सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा है कि उन्होंने 2021 के चुनावी वादे में नीट को खत्म करने की बात कही थी, लेकिन अब तक क्या कदम उठाए गए। इस घटना ने छात्रों पर बढ़ते दबाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को फिर से उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए काउंसलिंग और सपोर्ट सिस्टम को मजबूत करना जरूरी है। स्टालिन सरकार के हाथ खून से रंगे हुए हैं।

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