बीएसएफ जवान पीके शाह की वाघा बॉर्डर पर हुई वतन वापसी, पाकिस्तान रेंजर्स ने लिया था हिरासत में

नई दिल्ली। पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में 23 अप्रैल को गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के बाद पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा हिरासत में लिए गए बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शाह को आखिरकार 14 मई को वाघा बॉर्डर पर भारत को सौंप दिया गया। 182वीं बटालियन के कॉन्स्टेबल शाह, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले हैं, 20 दिनों तक पाकिस्तानी हिरासत में रहे। उनकी रिहाई के लिए बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच कई फ्लैग मीटिंग्स हुईं, लेकिन शुरुआती दौर में कोई नतीजा नहीं निकला था।

शाह उस समय सीमा पार कर गए थे, जब वह फिरोजपुर में सीमा के पास किसानों की सहायता कर रहे थे। वह छाया में आराम करने के लिए आगे बढ़े और अनजाने में पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए। वह वर्दी में थे और अपनी सर्विस राइफल साथ रखे हुए थे। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर जारी कीं, जिसमें वह आंखों पर पट्टी बांधे दिखे।

पूर्णम शाह की पत्नी ने बीएसएफ अधिकारियों से की थी मुलाकात

इस घटना ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया, खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। शाह की रिहाई के लिए भारत ने कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर लगातार प्रयास किए। उनकी पत्नी रजनी शाह, जो गर्भवती हैं, ने पठानकोट जाकर बीएसएफ अधिकारियों से मुलाकात की और अपने पति की सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई।

शाह की वापसी स्थापित प्रोटोकॉल के तहत हुई

वाघा बॉर्डर पर शाह की रिहाई एक औपचारिक समारोह में हुई, जहां बीएसएफ अधिकारियों ने उन्हें रिसीव किया। बीएसएफ ने बयान जारी कर कहा कि शाह की वापसी स्थापित प्रोटोकॉल के तहत हुई। उनकी वापसी से उनके परिवार और रिशरा, हुगली में स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है।

यह घटना भारत-पाकिस्तान सीमा पर अनजाने में सीमा पार करने की उन घटनाओं को रेखांकित करती है, जो आमतौर पर फ्लैग मीटिंग्स के जरिए सुलझा ली जाती हैं। शाह की रिहाई से दोनों देशों के बीच तनाव में कुछ कमी की उम्मीद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *