बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ को पाकिस्तानी हिरासत में दी गई यातनाएं, सोने तक नहीं दिया गया

अमृतसर। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पूर्णम शॉ 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान में चले गए थे। वह 14 मई को सुरक्षित भारत लौट आए हैं। अटारी-वाघा सीमा पर बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच उनकी सुपुर्दगी सुबह 10:30 बजे हुई।

बीएसएफ ने बताया कि नियमित फ्लैग मीटिंग और संचार के जरिए उनकी रिहाई संभव हुई। पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के निवासी पूर्णम अब डी-ब्रीफिंग प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।

हिरासत में किया गया दुर्व्यवहार

सूत्रों के मुताबिक, पूर्णम ने पाकिस्तानी हिरासत में दुर्व्यवहार किए जाने, नींद से वंचित रखे जाने और शारीरिक यातना की शिकायत की है। उनकी हिरासत की तस्वीरें, जिसमें उन्हें आंखों पर पट्टी बांधे और हथियारों के साथ दिखाया गया, पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं।

पूर्णम की पत्नी ने अधिकारियों से लगाई थी गुहार

बीएसएफ ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए पाकिस्तान रेंजर्स को पत्र लिखा था। पूर्णम की गर्भवती पत्नी रजनी शॉ ने उनकी रिहाई के लिए फिरोजपुर और पठानकोट में बीएसएफ अधिकारियों से गुहार लगाई थी। रजनी ने कहा, “वीडियो कॉल पर पूर्णम ने बताया कि वह शारीरिक रूप से ठीक हैं, लेकिन उन्हें बहुत परेशान किया गया।”

ममता बनर्जी ने रिहाई का किया स्वागत

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनकी रिहाई का स्वागत किया और कहा कि उन्होंने रजनी से कई बार बात की थी। पूर्णम के पिता भोला नाथ शॉ ने केंद्र और राज्य सरकार का आभार जताया। यह घटना जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद हुई, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाया था। बीएसएफ ने सीमा पर सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। पूर्णम की वापसी को भारत की कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है।

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