नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बंगाल सरकार से कहा कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में राज्य की शक्ति का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों पर नहीं किया जाना चाहिए।
सीजेआई ने डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम अपने हस्तक्षेप के व्यापक मापदंडों का संकेत देंगे। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पश्चिम बंगाल राज्य की शक्ति का प्रयोग न किया जाए। चाहे डॉक्टर हों या नागरिक समाज, उन पर राज्य की शक्ति का प्रयोग बिल्कुल न किया जाए।” सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पीठ यह समझने में असमर्थ है कि राज्य सरकार अस्पताल में बर्बरता के मुद्दे को कैसे संभालने में सक्षम नहीं है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम बहुत चिंतित हैं।”
सीजेआई ने बंगाल सरकार की खिंचाई भी की
इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने की। शीर्ष अदालत ने डॉक्टर के माता-पिता को अपनी बेटी का शव लेने के लिए लगभग तीन घंटे तक इंतजार कराने के लिए बंगाल सरकार की भी खिंचाई की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर महिलाओं को सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां मुहैया नहीं करायी जा सकतीं तो उन्हें समानता से वंचित किया जा रहा है।
महिला डॉक्टरों के लिए सुरक्षा का अभाव: सीजेआई चंद्रचूड़
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम चिंतित हैं कि अस्पतालों में काम करने वाली महिला डॉक्टरों, रेजिडेंट और अनिवासी डॉक्टरों के लिए सुरक्षित स्थितियों का अभाव है। युवा डॉक्टरों को लंबे समय तक काम करना पड़ता है। वहां पुरुष और महिला डॉक्टरों के लिए कोई अलग ड्यूटी कक्ष नहीं है और हमें काम की सुरक्षित स्थितियों के लिए मानक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए एक राष्ट्रीय सहमति विकसित करने की आवश्यकता है। अगर महिलाएं अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित नहीं रह सकतीं तो संविधान के तहत समानता क्या है।”