नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि ‘जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है’ का सिद्धांत मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत भी लागू होता है। शीर्ष अदालत का यह फैसला तब आया, जब उसने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को जमानत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मनीष सिसोदिया के मामले में अपने फैसले पर भरोसा करता है, जहां आप नेता को कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले में जमानत दी गई थी। शीर्ष अदालत ने प्रेम प्रकाश को जमानत देते समय उनके लंबे समय तक जेल में रहने और बड़ी संख्या में गवाहों के कारण मुकदमे में देरी को ध्यान में रखा।
व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम है: सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन ने कहा, “मनीष सिसोदिया के फैसले पर भरोसा करते हुए हमने कहा है कि पीएमएलए में भी जमानत एक नियम है और जेल अपवाद है। व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया से वंचित करना अपवाद है।”