नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देते हुए कहा कि जमानत पर कठोर शर्तें और अभियोजन में देरी एक साथ नहीं चल सकती। जस्टिस एएस ओका और एजी मसीह की पीठ ने बालाजी को राहत देते हुए कठोर शर्तें रखीं, जिन्हें पिछले साल जून में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कैश-फॉर-जॉब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।
पीठ ने कहा, “हमने जो कहा है वह यह है कि जमानत की कठोर और उच्च सीमा और अभियोजन में देरी एक साथ नहीं चल सकती। जमानत दी गई है, लेकिन जमानत में बहुत कठोर शर्तें रखी गई हैं।” मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा 28 फरवरी को उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद बालाजी ने जमानत याचिका लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
मामले में कोर्ट ने 12 अगस्त को फैसला रखा था सुरक्षित
प्रवर्तन निदेशालय का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा की दलीलें सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 12 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मद्रास उच्च न्यायालय ने बालाजी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर उन्हें इस तरह के मामले में जमानत पर रिहा किया जाता है, तो इससे गलत संकेत जाएगा और यह व्यापक जनहित के खिलाफ होगा।