नई दिल्ली। क्या आप जोमैटो में नौकरी करना चाहते हैं? फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने चीफ ऑफ स्टाफ पद के लिए वेकेंसी निकाली है। लेकिन इसके लिए एक चौंकाने वाली शर्त भी है। उम्मीदवार को पहले वर्ष में कोई वेतन नहीं दिया जाएगा और चयनित उम्मीदवार को शुल्क के रूप में 20 लाख रुपये कंपनी को जमा कराना होगा। अजीब लग रहा है, है ना? आइए इसे अलग-अलग कर समझते हैं कि आखिर नौकरी क्या है और आपको वेतन मिलेगा या नहीं।
कंपनी का कहना है कि चीफ ऑफ स्टाफ का पद जोमैटो के गुरुग्राम मुख्यालय के लिए है। इसका उद्देश्य सीखने और आगे बढ़ने की ललक वाले इंसान के लिए है। लिंक्डइन पर एक पोस्ट में दीपिंदर गोयल ने बताया कि इस पद के लिए उन्हें डाउन टू अर्थ उम्मीदवार चाहिए, जिसमें सिर्फ पैसे कमाने का नहीं बल्कि एक कंपनी को आगे ले जाने और खुद को सीखने के लिए ललक वाला गुण हो। गोयल ने लिखा कि यह पद सिर्फ उनके लिए नहीं है जो बायोडाट में अपनी सारी जानकारी डाल देते हैं। यह उन लोगों के लिए है जो जोमैटो, ब्लिंकिट, हाइपरप्योर और फीडिंग इंडिया के भविष्य के निर्माण में योगदान देना चाहते हैं और कुछ सीखना चाहते हैं।
20 लाख रुपये फीडिंग इंडिया को होगी दान
कंपनी उम्मीदवार से लिए गए 20 लाख रुपये सीधे फीडिंग इंडिया को दान करेगी। यहग जोमैटो की एक गैर-लाभकारी संस्था है। हालांकि पहले वर्ष में चुने गए उम्मीदवार को कोई वेतन नहीं मिलेगा। जोमैटो उम्मीदवार की पसंद की चैरिटी के लिए 50 लाख रुपये दान भी करेगा और दूसरे वर्ष से, चीफ ऑफ स्टाफ को प्रति वर्ष 50 लाख रुपये से अधिक का वेतन दिया जाएगा। मतलब पहले साल में कुछ नहीं और अगले साल से 50 लाख रुपये प्रति वर्ष का वेतन।
कैसे करें आवेदन
आइए अब जानते हैं कि इसके लिए आवेदन कैसे कर सकते हैं? आवेदकों को कोई बायोडाटा नहीं देना है। उम्मीदवार सीधे गोयल को 200 शब्दों का कवर लेटर जमा करेंगे, जिसमें वह इस पद पर क्यों आवेदन कर रहे हैं, इसकी जानकारी देनी होगी। चयन पूरी तरह से कवर लेटर में लिखी गई बातों पर आधारित होगा।
पोस्ट की तारीफ और आलोचना
इस घोषणा से इसकी तारीफ भी की जा रही है और आलोचना भी हो रही है। इसके समर्थन में लोगों का कहना है कि इससे बेहतर मौका एक शख्स को और कहीं नहीं मिल सकता। खासकर उन लोगों के लिए जो कंज्यूमर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रुचि रखते हैं। वहीं, आलोचकों का तर्क है कि 20 लाख रुपये का शुल्क अधिकांश उम्मीदवारों के लिए काफी मुश्किल होगा। इस कारण कई लोग तो पहले ही इस जॉब से बाहर हो जाएंगे। सीईओ गोयल ने चीफ ऑफ स्टाफ पद को पारंपरिक नौकरी के बजाय सीखने के अवसर के रूप में परिभाषित किया है। गोयल ने सुझाव दिया कि वह कॉर्पोरेट भारत के भीतर पेशेवर विकास की अवधारणा को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।