सेहत, साजिश या सियासत… उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की पूरी कहानी

नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया है, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तत्काल प्रभाव से मंजूर कर लिया है। यह इस्तीफा सियासी हलचल का कारण बन गया है।

21 जुलाई, सोमवार को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन, जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपा। मंगलवार को राष्ट्रपति भवन ने इसे मंजूर कर गृह मंत्रालय को भेज दिया। धनखड़ अगस्त 2022 से उपराष्ट्रपति थे, और उनका कार्यकाल 2027 तक था। लेकिन, इस इस्तीफे की टाइमिंग ने कई सवाल खड़े किए हैं।

सोमवार को धनखड़ एक्टिव मोड में दिखे

इस्तीफे से कुछ घंटे पहले, धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष के 63 सांसदों के महाभियोग नोटिस को स्वीकार किया था। लोकसभा में भी 100 से अधिक सांसदों ने इस पर हस्ताक्षर किए। धनखड़ का यह एक्टिव मोड सभी को चौंकानेवाला था, क्योंकि उन पर पहले विपक्ष को नजरअंदाज करने का आरोप लगता रहा था और वह कभी विपक्ष को लाभ पहुंचाने वाला कदम नहीं उठाते थे।

पीएम मोदी ने धनखड़ के योगदान की सराहना की

पीएम नरेंद्र मोदी ने धनखड़ के योगदान की सराहना की और उनके स्वास्थ्य की कामना की। लेकिन, टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद ने धनखड़ के कार्यकाल को विवादास्पद बताया। कांग्रेस के जयराम रमेश ने इसे संदिग्ध करार दिया। विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के आंतरिक समीकरण और जस्टिस वर्मा मामले में धनखड़ की भूमिका ने इस्तीफे को प्रभावित किया हो सकता है। 11 दिन पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में धनखड़ ने 2027 तक कार्यकाल पूरा करने की बात कही थी। इससे अब यह उनका कदम अप्रत्याशित लगता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *