नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने 23 मई 2025 को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को नामांकन की अनुमति को रद्द कर दिया, जिससे लगभग 6,800 अंतरराष्ट्रीय छात्रों, जिसमें 788 भारतीय छात्र शामिल हैं, का भविष्य खतरे में पड़ गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय हार्वर्ड पर यहूदी-विरोधी गतिविधियों और कथित तौर पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधों को बढ़ावा देने का आरोप लगाने के बाद लिया गया। हार्वर्ड ने इस कदम को अवैध और अनुचित करार देते हुए बोस्टन की संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है।
हार्वर्ड के पूर्व छात्र राघव चड्ढा ने इस फैसले की कड़ी निंदा की
आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद और हार्वर्ड के पूर्व छात्र राघव चड्ढा ने इस फैसले की कड़ी निंदा की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “राष्ट्रपति ट्रम्प का यह कदम हार्वर्ड और अन्य जगहों पर अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सपनों और भविष्य को खतरे में डालता है। एक गर्वित हार्वर्ड समुदाय के सदस्य के रूप में, मैं समावेशिता और शैक्षणिक स्वतंत्रता के समर्थन में अपनी पहचान दर्शाता हूं। मैं हार्वर्ड और उन सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ खड़ा हूं जिनके सपने खतरे में हैं।” चड्ढा ने शैक्षणिक स्वतंत्रता और वैश्विक सहयोग की रक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
हार्वर्ड ने इस निर्णय को प्रथम संशोधन का उल्लंघन बताया
ट्रम्प प्रशासन ने होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम के हवाले से कहा कि हार्वर्ड ने असुरक्षित कैंपस वातावरण को बढ़ावा दिया और विदेशी छात्रों से संबंधित जानकारी साझा करने से इनकार किया। नोएम ने हार्वर्ड को 72 घंटों के भीतर छात्रों के विरोध प्रदर्शनों और अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के रिकॉर्ड सौंपने की मांग की। हार्वर्ड ने इस निर्णय को प्रथम संशोधन का उल्लंघन बताया और कहा कि यह 7,000 से अधिक वीजा धारकों पर तत्काल और विनाशकारी प्रभाव डालेगा।
भारत में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की चुप्पी की आलोचना की। हार्वर्ड के आंकड़ों के अनुसार, विश्वविद्यालय में 27% छात्र अंतरराष्ट्रीय हैं, जिनमें से अधिकांश स्नातकोत्तर अध्ययन कर रहे हैं। यह प्रतिबंध 2025-26 शैक्षणिक वर्ष से लागू होगा, जिससे मौजूदा छात्रों को अन्य संस्थानों में स्थानांतरण करना पड़ सकता है।