नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले पर विवादास्पद बयान दिया है। इस हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी। अय्यर ने इस घटना को भारत-पाकिस्तान के बीच 1947 के विभाजन और 1971 के युद्ध से जोड़ते हुए कहा कि आतंकवाद की जड़ें इन ऐतिहासिक घटनाओं में हैं। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया उकसाई है।
एक निजी समाचार चैनल के साथ साक्षात्कार में अय्यर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का मूल कारण विभाजन के समय बनी दुश्मनी है, जिसे 1971 के युद्ध ने और गहरा दिया। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद कश्मीर में एक ‘प्रतिक्रिया’ है, और इसे खत्म करने के लिए दोनों देशों को आपसी बातचीत शुरू करनी होगी। अय्यर ने भारत द्वारा 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले पर भी सवाल उठाए, इसे ‘उकसावे वाली कार्रवाई’ करार दिया।
अय्यर पर आतंकवाद को ‘न्यायोचित’ ठहराने का आरोप
उनके बयान की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कड़ी आलोचना की। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने अय्यर पर आतंकवाद को ‘न्यायोचित’ ठहराने का आरोप लगाया और कहा कि यह कांग्रेस की ‘पाकिस्तान परस्त’ नीति को दर्शाता है। बीजेपी ने मांग की कि कांग्रेस अय्यर के बयान से खुद को अलग करे। हालांकि, कांग्रेस ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए, जिनमें वाघा सीमा बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना और इस्लामाबाद से भारतीय दूतावास कर्मियों को वापस बुलाना शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि अय्यर का बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत-पाकिस्तान संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। इस बीच, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) हमले की जांच कर रही है, और सुरक्षा बलों ने कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है।