श्रीनगर। भारत ने जम्मू-कश्मीर में दो जलविद्युत परियोजनाओं सलाल और बगलिहार की जलाशय क्षमता बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है। यह कदम 1960 के सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित करने के बाद उठाया गया है, जिसे पहलगाम में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने स्थगित किया था। रॉयटर्स के अनुसार, यह काम बिना पाकिस्तान को सूचित किए शुरू हुआ, जो संधि के नियमों का उल्लंघन है। यह भारत का संधि से बाहर पहला ठोस कदम है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
1 मई से तीन दिनों तक चली रिजर्वायर फ्लशिंग प्रक्रिया में सलाल (690 मेगावाट) और बगलिहार (900 मेगावाट) बांधों से तलछट हटाने के लिए पानी छोड़ा गया। भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत कंपनी NHPC और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यह काम किया। एक सूत्र ने कहा, “यह पहली बार हुआ है, इससे बिजली उत्पादन में दक्षता बढ़ेगी और टर्बाइनों को नुकसान से बचाया जाएगा।”
पाकिस्तान ने युद्ध की कार्रवाई करार दिया
पाकिस्तान सिंधु नदी प्रणाली पर 80% कृषि और जलविद्युत के लिए निर्भर है। इसने इसे युद्ध की कार्रवाई करार दिया। उसने अंतरराष्ट्रीय कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है। भारत ने हमले में दो हमलावरों को पाकिस्तानी बताकर संधि निलंबित की थी, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया।
भारत की बुनियादी ढ़ांचा पानी रोकने में सक्षम
संधि के तहत, पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का नियंत्रण मिला था, जबकि भारत को सीमित गैर-उपभोगी उपयोग की अनुमति थी। निलंबन के बाद भारत अब बांधों और जल भंडारण पर स्वतंत्र रूप से काम कर सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की मौजूदा बुनियादी ढांचा क्षमता तत्काल बड़े पैमाने पर पानी रोकने में सक्षम नहीं है।
यह कदम क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा सकता है, क्योंकि दोनों देशों ने कश्मीर को लेकर दो युद्ध लड़े हैं। भारत के जल संसाधन मंत्री ने कहा, “सिंधु की एक बूंद भी पाकिस्तान नहीं पहुंचेगी।” पाकिस्तान ने इसे आक्रामक कदम बताते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।