नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कूटनीतिक कार्रवाई की है। इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए। इसके जवाब में भारत ने 23 अप्रैल की देर रात पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक साद अहमद वार्राच को तलब किया और पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर एक सप्ताह में भारत छोड़ने का आदेश दिया।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि भारत भी इस्लामाबाद में अपने सैन्य सलाहकारों को वापस बुलाएगा, और दोनों देशों के उच्चायोगों में इन पदों को समाप्त कर दिया गया है।
सीसीएस की बैठक में लिए गए पांच बड़े फैसले
यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की बैठक के बाद हुई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल थे। बैठक में पांच बड़े फैसले लिए गए, जिनमें 1960 की इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करना और अटारी-वाघा चेकपोस्ट को तत्काल बंद करना शामिल है। इसके अलावा, दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 करने और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट रद्द करने का निर्णय लिया गया।
आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की
पहलगाम का हमला, जिसकी जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली, बाइसारन घास के मैदान में हुआ। आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें अधिकांश पीड़ित गैर-मुस्लिम थे। हमले के बाद भारत ने स्पष्ट किया कि आतंकियों और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। इस कदम से भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव और बढ़ गया है और पाकिस्तान की वैश्विक अलगाव की स्थिति उजागर हुई है।