भोपाल। भारत में ‘प्रोजेक्ट चीता’ को बढ़ावा देने के लिए बोत्सवाना से आठ चीतों को दो चरणों में लाया जाएगा, जिनमें से चार मई 2025 तक पहुंचेंगे। मध्य प्रदेश सरकार के एक बयान के अनुसार, यह जानकारी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के अधिकारियों ने शुक्रवार (18 अप्रैल 2025) को भोपाल में आयोजित चीता परियोजना की समीक्षा बैठक में दी। बैठक में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव मौजूद थे।
एनटीसीए के अनुसार, अब तक इस परियोजना पर 112 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, जिसमें 67% राशि मध्य प्रदेश में चीतों के पुनर्वास पर खर्च हुई है। दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और केन्या से और चीतों को लाने की कोशिशें जारी हैं। मई में बोत्सवाना से चार चीते लाए जाएंगे, इसके बाद चार और लाए जाएंगे। भारत और केन्या के बीच भी एक समझौते पर सहमति बन रही है।
वर्तमान में कूनो में 26 चीते मौजूद
वर्तमान में कूनो नेशनल पार्क में 26 चीते हैं, जिनमें 16 खुले जंगल में और 10 पुनर्वास केंद्र (बाड़ों) में हैं। इनमें 14 भारत में जन्मे शावक शामिल हैं। मादा चीतों ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा ने शावकों को जन्म दिया है। चीतों की 24 घंटे सैटेलाइट कॉलर आईडी से निगरानी की जा रही है। कूनो में पर्यटकों की संख्या पिछले दो वर्षों में दोगुनी हो गई है। मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चीता सफारी शुरू करने की अनुमति के लिए याचिका दायर की है, जिसका फैसला अभी लंबित है।
2022 में नामीबिया से 8 चीतों को लाया गया था
इसके अलावा, चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित किया जाएगा। यह अभयारण्य राजस्थान की सीमा से सटा है, इसलिए मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच अंतर-राज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र स्थापित करने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। कूनो और गांधी सागर में ‘चीता मित्रों’ को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीतों को कूनो में लाया गया था, जो विश्व का पहला अंतरमहाद्वीपीय चीता स्थानांतरण था। फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए थे।