नई दिल्ली। भारत ने विश्व बैंक द्वारा पाकिस्तान को संभावित 20 अरब डॉलर की सहायता को लेकर आपत्ति जताने का फैसला किया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व बैंक और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के समक्ष यह मुद्दा उठाएगा, ताकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाया जा सके।
बता दें पाकिस्तान काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय कर्ज और बेलआउट पर निर्भर है। यह कदम हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव और अप्रैल 2024 के पहलगाम आतंकी हमले के बाद उठाया जा रहा है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारत का मानना है कि पाकिस्तान इन फंड्स का दुरुपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है।
भारत सहायता पैकेज की समीक्षा की मांग करेगा
सूत्रों के अनुसार, भारत जून में होने वाली विश्व बैंक की बैठक में इस सहायता पैकेज की समीक्षा की मांग करेगा। भारत ने पहले भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा पाकिस्तान को दी गई 1 अरब डॉलर की सहायता का विरोध किया था, जिसमें भारत ने आईएमएफ बोर्ड की बैठक में मतदान से खुद को अलग रखा। भारत ने तर्क दिया कि पाकिस्तान का 28 आईएमएफ कार्यक्रमों का इतिहास रहा है, जिसमें सुधारों का अभाव और फंड्स का दुरुपयोग देखा गया है।
भारत ने एफएटीएफ से ग्रे लिस्ट में डालने की मांग की
भारत का कहना है कि ऐसी वित्तीय सहायता आतंकवाद को प्रायोजित करने में मदद कर सकती है, जो वैश्विक समुदाय के लिए खतरनाक संदेश देता है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी आईएमएफ के इस कदम को पाकिस्तान को हमलों के लिए प्रतिपूर्ति करार दिया था। भारत ने एफएटीएफ से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में वापस डालने की मांग की है, ताकि आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाया जा सके।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 130 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज और पुरानी व्यापार घाटे की समस्या से जूझ रही है। विश्व बैंक ने पहले 48 अरब डॉलर की सहायता दी है और अब नया पैकेज चर्चा में है। भारत का यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ उसकी कठोर नीति को दर्शाता है।