नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, जिसमें 26 लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि आतंकियों और उनके समर्थकों को ऐसी सजा दी जाएगी, जो उनकी कल्पना से परे होगी।
बिहार के मधुबनी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा, “यह हमला सिर्फ निहत्थे पर्यटकों पर नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला है। 140 करोड़ भारतीयों की इच्छाशक्ति आतंक के आकाओं की कमर तोड़ देगी।” उन्होंने हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट ने ली
हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस हमले की साजिश लश्कर के कमांडर सैफुल्लाह कासूरी और हाफिज सईद के करीबी सहयोगियों ने रची। हमले में शामिल पांच से छह आतंकी, जिनमें से कुछ पाकिस्तानी थे, ने बाइसरण मीडो में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की।
सीमा पार आतंकवाद बंद होने तक संधि निलंबित
भारत सरकार ने इस हमले के जवाब में कड़े कदम उठाए। पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने, अटारी-वाघा सीमा बंद करने और पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित करने का फैसला लिया गया। विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने कहा, “जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, संधि निलंबित रहेगी।”
मुठभेड़ में टीआरएफ का शीर्ष कमांडर फंसा
हमले के बाद सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया। कुलगाम में एक मुठभेड़ में टीआरएफ का एक शीर्ष कमांडर फंस गया। सरकार ने सभी दलों की बैठक बुलाई है, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हिस्सा लेंगे। विश्व नेताओं, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल हैं, ने इस हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई।
पहलगाम हमले ने कश्मीर में पर्यटन और शांति की प्रगति पर गहरा आघात किया है। भारत का यह सख्त रुख आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को दर्शाता है।