नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद विवादों में घिरे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त वापसी की है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बीजेपी को चारों खाने चित्त कर दिया। एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों को गलत साबित करते हुए हेमंत सोरेन की जेएमएम सत्ता बरकरार रखने और राज्य के इतिहास में पहली बार लगातार दूसरी सरकार बनाने में कामयाब रही।
झामुमो-कांग्रेस गठबंधन 55 से अधिक सीटों पर आगे चल रहा है, जो आधे के आंकड़े 42 से कहीं अधिक है। भाजपा के नेतृत्व वाला राजग 23 सीटों पर आगे है। रुझानों में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन झारखंड के सभी प्रमुख क्षेत्रों छोटा नागपुर, कोल्हान, कोयलांचल, पलामू और संथाल परगना में आगे चल रहा है। यह झारखंड के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ को मुद्दा बनाया
2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन ने 47 सीटें जीतीं। झामुमो ने अपने दम पर 30 सीटें जीतीं, जो 2014 में 19 थी। भाजपा 81 में से केवल 25 सीटें ही जीत सकी। चुनाव अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह सहित भाजपा ने सोरेन सरकार पर हमला करने के लिए बांग्लादेश से ‘अवैध आप्रवासन’ का आह्वान किया। भाजपा ने चुनावी रैलियों में बार-बार कहा कि झारखंड की ‘माटी, बेटी और रोटी’ खतरे में है क्योंकि ‘घुसपैठिए’ आदिवासियों से जल, जमीन और जंगल छीन रहे हैं।
जेएमएम ने कल्याणकारी योजनाओं पर चुनाव लड़ा
हालांकि, झामुमो ने अपने अभियान को अपनी कल्याणकारी योजनाओं, विशेष रूप से मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना और आदिवासी अस्मिता (आदिवासी गौरव) कथा पर केंद्रित किया। मैया सम्मान योजना पात्र महिला लाभार्थियों को प्रति माह 1,000 रुपये प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। महिला मतदाताओं के मजबूत समर्थन से झामुमो की जीत हुई है। चुनाव आयोग के अनुसार, 81 सीटों में से 68 सीटों पर महिलाओं की संख्या अधिक दर्ज की गई।