2027 में रिटायरमेंट प्लान कर रहे थे जगदीप धनखड़, 11 दिन बाद ही क्यों बदला मन? बड़ी वजह आई सामने

नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार, 21 जुलाई 2025 को अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। 74 वर्षीय धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों और चिकित्सकीय सलाह का हवाला दिया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया।

धनखड़ अगस्त 2022 में देश के 14वें उपराष्ट्रपति बने थे और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था। हालांकि, 11 दिन पहले ही उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में 2027 तक कार्यकाल पूरा करने की बात कही थी, जिससे उनका यह फैसला चौंकाने वाला है।

धनखड़ ने विपक्ष का प्रस्ताव स्वीकार किया

धनखड़ का इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन के बाद आया, जब उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की थी। इस दौरान उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए विपक्ष के 63 सांसदों के नोटिस को स्वीकार किया था। लोकसभा में भी सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के 100 से अधिक सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। जबकि सरकार यह प्रस्ताव पहले लोकसभा में लाना चाहती थी। वह विपक्ष को इसका लाभ नहीं लेना चाहती थी। यही वजह रही कि सरकार इस कदम से नाराज थी।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस्तीफे पर जताया आश्चर्य

इस घटनाक्रम के बाद शाम 6 बजे विपक्षी नेताओं से मुलाकात के तीन घंटे बाद धनखड़ ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से इस्तीफे की घोषणा की। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस इस्तीफे पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि धनखड़ ने उसी दिन उनसे मुलाकात की थी और कोई संकेत नहीं दिया था। उन्होंने पीएम मोदी से धनखड़ को मनाने का आग्रह किया। कपिल सिबल और अन्य विपक्षी नेताओं ने भी उनके स्वास्थ्य की कामना की, लेकिन इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए।

धनखड़ ने अपने पत्र में राष्ट्रपति, पीएम मोदी और सांसदों के समर्थन के लिए आभार जताया। उन्होंने अपने कार्यकाल को भारत के आर्थिक और वैश्विक उत्थान का साक्षी बताया। मार्च 2025 में सीने में दर्द के कारण एम्स में भर्ती होने के बावजूद, वह सक्रिय रहे थे। उनके इस्तीफे ने अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को गति दे दी है।

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