म्यांमार। म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को आए दो शक्तिशाली भूकंपों ने भारी तबाही मचाई, जिसमें मरने वालों की संख्या 1,644 तक पहुंच गई है। म्यांमार की सैन्य सरकार ने शनिवार को बताया कि 7.7 और 6.4 तीव्रता के इन भूकंपों से 3,408 लोग घायल हुए हैं और 139 लापता हैं।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने चेतावनी दी है कि मृतकों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है। भूकंप का केंद्र सागाइंग से 16 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में था, जिसने मांडले जैसे शहरों को बुरी तरह प्रभावित किया। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी एक ऊंची इमारत ढह गई, जिसमें 9 लोगों की मौत हुई और 40 से अधिक लोग मलबे में फंसे हैं।
भारत, चीन और रूस ने भेजा सहायता दल
म्यांमार में कई इमारतें, पुल और बांध ढह गए। मांडले में बचावकर्मी नंगे हाथों से मलबे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। एक पीड़ित ने बीबीसी को बताया कि वह शौचालय में था जब भूकंप आया, और दूसरी इमारत में भागते समय वह भी ढह गई। उसकी दादी और रिश्तेदार अभी भी लापता हैं। सैन्य शासक मिन आंग ह्लाइंग ने अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील की है, जो म्यांमार के लिए असामान्य है। भारत, चीन और रूस ने सहायता और बचाव दल भेजे हैं। भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत 15 टन राहत सामग्री और NDRF के 80 जवान भेजे। हालांकि, क्षतिग्रस्त सड़कों और बिजली संकट ने राहत कार्यों में बाधा डाली है।
बैंकॉक में 2000 से अधिक घरों में आई दरार
थाईलैंड में बैंकॉक के चतुचक इलाके में एक निर्माणाधीन 30 मंजिला इमारत ढह गई। वहां 2,000 से अधिक इमारतों में दरारें आईं। गवर्नर चाडचार्ट सिट्टिपंट ने आपातकाल घोषित किया और कहा कि 15 लोगों के जीवित होने के संकेत मिले हैं। बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन मलबे की अस्थिरता चुनौती बनी हुई है। भूकंप के झटके भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, बांग्लादेश और चीन के युन्नान तक महसूस किए गए।
गृहयुद्ध के बाद प्राकृतिक आपदा की चपेट में म्यांमार
म्यांमार, जो पहले से गृहयुद्ध से जूझ रहा है, अब इस प्राकृतिक आपदा से और संकट में है। संयुक्त राष्ट्र ने 5 मिलियन डॉलर की प्रारंभिक सहायता दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सागाइंग फॉल्ट लाइन पर स्थित होने के कारण म्यांमार भूकंपों के लिए संवेदनशील है। यह आपदा दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए सबसे घातक भूकंपों में से एक बन गई है, जिसने क्षेत्र की कमजोरियों को उजागर किया है।