नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को NEET-UG परीक्षा दोबारा आयोजित करने की मांग के खिलाफ फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि प्रश्नपत्र के व्यापक स्तर पर लीक होने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि नए सिरे से एनईईटी-यूजी का निर्देश देने से परीक्षा देने वाले 24 लाख छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ प्रश्न पत्र-लीक और अन्य कदाचार के आधार पर इस साल 5 मई को आयोजित नीट-यूजी परीक्षा की दोबारा परीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों और आईआईटी मद्रास की एक रिपोर्ट की जांच की थी, जिसमें बताया गया था कि बड़े पैमाने पर कोई पेपर लीक नहीं हुआ था।
दोबारा परीक्षा होने से छात्रों को भुगतने होंगे गंभीर परिणाम
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “इस स्तर पर, रिकॉर्ड पर ऐसी सामग्री का अभाव है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि परीक्षा का परिणाम दूषित है या परीक्षा की पवित्रता का प्रणालीगत उल्लंघन हुआ है।” मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत इस तथ्य से अवगत है कि दोबारा परीक्षा आयोजित करने से परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए गंभीर परिणाम होंगे।
डॉक्टरों की हो सकती है कमी: सुप्रीम कोर्ट
अदालत के अनुसार, वर्तमान वर्ष के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने से प्रवेश कार्यक्रम में व्यवधान हो सकता है। चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम पर असर पड़ सकता है। भविष्य में योग्य चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है और हाशिए पर रहने वाले छात्रों के लिए नुकसानदेह हो सकता है जिनके लिए सीटों के आवंटन में आरक्षण किया गया था।