नई दिल्ली। भारत सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम व्यापार रियायतों के बदले हुआ। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने स्पष्ट किया कि 7 मई को शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर से लेकर 10 मई को युद्धविराम समझौते तक, भारत और अमेरिकी नेतृत्व के बीच हुई बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं हुआ।
ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को व्यापार बंद करने की धमकी देकर युद्धविराम के लिए मजबूर किया, जिससे एक संभावित परमाणु युद्ध टला।
पाकिस्तान ने हॉटलाइन से संपर्क करने में देरी की
एमईए ने कहा कि युद्धविराम का समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे तौर पर हुआ। 10 मई को दोपहर 3:35 बजे पाकिस्तानी डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ से संपर्क किया और दोनों पक्षों ने शाम 5 बजे से सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति जताई। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि पाकिस्तान ने तकनीकी समस्याओं के कारण हॉटलाइन से संपर्क करने में देरी की, लेकिन समझौता द्विपक्षीय था।
पाकिस्तान के वायुसेना ठिकानों पर हुए हमले
भारत ने जोर देकर कहा कि युद्धविराम का कारण भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत थी। 10 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान के प्रमुख वायुसेना ठिकानों पर प्रभावी हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान ने युद्धविराम की मांग की। एमईए ने स्पष्ट किया कि भारत ने अपनी कार्रवाइयों को 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में आतंकी ढांचों को निशाना बनाने तक सीमित रखा।
भारत ने किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार किया
ट्रंप ने युद्धविराम को अपनी मध्यस्थता का नतीजा बताया और कहा कि उन्होंने दोनों देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की पेशकश की। हालांकि, भारत ने किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार किया और कहा कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दे द्विपक्षीय रूप से हल किए जाएंगे। युद्धविराम के बाद भी सीमा पर तनाव बना हुआ है, और दोनों देश एक-दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं।