निमिषा प्रिया की यमन फांसी रद्द करने का दावा गलत, भारत सरकार ने माफी के दावे के किया खारिज

नई दिल्ली। यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा को रद्द करने की खबर सामने आई है, हालांकि भारत सरकार ने इस दावे को खारिज किया है। भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने 28 जुलाई को दावा किया कि सना में एक उच्च-स्तरीय बैठक में निमिषा की मौत की सजा को पूरी तरह रद्द कर दिया गया, जो पहले अस्थायी रूप से निलंबित थी। लेकिन विदेश मंत्रालय ने इसे गलत जानकारी करार दिया, यह कहते हुए कि इस मामले में कुछ व्यक्तियों द्वारा साझा की गई जानकारी गलत है।

निमिषा प्रिया (37 वर्षीय नर्स) 2008 में बेहतर रोजगार के लिए केरल के पलक्कड़ से यमन गई थीं। 2015 में उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के साथ मिलकर सना में एक क्लिनिक शुरू किया। लेकिन मेहदी ने कथित तौर पर उनका उत्पीड़न किया, उनके पैसे हड़पे और पासपोर्ट जब्त कर लिया। 2017 में अपने दस्तावेज वापस लेने की कोशिश में निमिषा ने मेहदी को बेहोश करने के लिए दवा दी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद निमिषा को 2018 में हत्या के लिए दोषी ठहराया गया और 2020 में यमनी अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई।

ग्रैंड मुफ्ती के हस्तक्षेप के बाद फांसी टाल दिया गया

निमिषा की फांसी 16 जुलाई 2025 को निर्धारित थी, लेकिन ग्रैंड मुफ्ती के हस्तक्षेप के बाद इसे टाल दिया गया। उनके परिवार और भारतीय ईसाई प्रचारक केए पॉल ने हूती अधिकारियों से माफी की अपील की थी। यमन का कानून, जो शरिया पर आधारित है, पीड़ित के परिवार द्वारा मुआवजा (दिया) स्वीकार करने पर सजा माफ करने की अनुमति देता है। निमिषा के वकील ने मेहदी के परिवार को 8.6 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, लेकिन परिवार ने इसे ठुकरा दिया।

यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा है। निमिषा की 13 वर्षीय बेटी मिशेल और पति थॉमस ने भी उनके लिए अपील की थी। हालांकि, यमनी सरकार से अभी तक कोई आधिकारिक लिखित पुष्टि नहीं मिली है, और भारत सरकार इस मामले में सभी संभव सहायता प्रदान कर रही है।

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