‘भारत के लोगों की नियुक्ति नहीं होगी’, डोनाल्ड ट्रंप ने गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य कंपनियों से की अपील

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 23 जुलाई को वॉशिंगटन में आयोजित एक एआई शिखर सम्मेलन में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एपल जैसी प्रमुख तकनीकी कंपनियों को भारत सहित विदेशों में भर्ती रोकने और अमेरिकी कर्मचारियों पर ध्यान केंद्रित करने का सख्त संदेश दिया। ट्रंप ने कहा, “हमारी कई बड़ी टेक कंपनियां अमेरिकी स्वतंत्रता का लाभ उठाती हैं, लेकिन अपने कारखाने चीन में बनाती हैं, भारत में कर्मचारी भर्ती करती हैं और आयरलैंड में मुनाफा जमा करती हैं। मेरे शासन में ये दिन खत्म हो गए हैं।”

उन्होंने कंपनियों से अमेरिका को प्राथमिकता देने की मांग की। इस बयान से भारतीय तकनीकी पेशेवरों के लिए चिंता बढ़ गई है, क्योंकि भारत टेक उद्योग में वैश्विक प्रतिभा केंद्र है।

ट्रंप ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता शब्द को जीनियस में बदलने की इच्छा जताई

ट्रंप ने सम्मेलन में तीन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। पहला आदेश “विनिंग द रेस” रणनीति के तहत अमेरिका में एआई विकास को बढ़ावा देने, डेटा सेंटर निर्माण को तेज करने और बुनियादी ढांचे को आसान बनाने पर केंद्रित है। दूसरा आदेश संघीय धन प्राप्त करने वाली कंपनियों को राजनीतिक रूप से तटस्थ एआई उपकरण विकसित करने का निर्देश देता है, जिसे ट्रंप ने वोक एआई के खिलाफ बताया। तीसरा आदेश अमेरिकी एआई उपकरणों के वैश्विक निर्यात को प्रोत्साहित करता है। ट्रंप ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता शब्द को “जीनियस” जैसे नाम से बदलने की इच्छा भी जताई।

यह बयान ट्रंप के पहले के रुख को दोहराता है, जहां उन्होंने मई 2025 में एपल के सीईओ टिम कुक से भारत में iPhone उत्पादन न बढ़ाने की मांग की थी। भारत में एपल ने 2021 से उत्पादन बढ़ाया है, जिससे 1.5 लाख प्रत्यक्ष और 3 लाख अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हुई हैं। ट्रंप की नीति से भारत के “मेक इन इंडिया” पहल और तकनीकी निर्यात पर असर पड़ सकता है।

यह कदम भारतीय टेक उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियां भारत में लागत और कुशल श्रम के कारण भारी निवेश करती हैं। ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति वैश्विक तकनीकी परिदृश्य को बदल सकती है।

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