नई दिल्ली। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा और इसे बदला नहीं जा सकता। उन्होंने परमाणु निरस्त्रीकरण की बातचीत को ‘शत्रुतापूर्ण’ करार देते हुए खारिज कर दिया। यह बयान अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच हाल ही में हुई त्रिपक्षीय वार्ता के जवाब में आया है, जिसमें प्योंगयांग पर दबाव डालकर परमाणु निरस्त्रीकरण का लक्ष्य दोहराया गया था। किम यो जोंग ने चेतावनी दी कि स्थिति को बदलने की कोशिशें छोड़कर ही शांति संभव है, न कि जबरदस्ती से।
उत्तर कोरियाई सेंट्रल न्यूज एजेंसी के जरिए जारी बयान में किम यो जोंग ने कहा, “हमारा परमाणु हथियार कार्यक्रम छोड़ने की बात एक ऐसे स्वप्न की तरह है जो कभी सच नहीं होगा।” उन्होंने अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान की त्रिपक्षीय पहल को देश की संप्रभुता के खिलाफ ‘शत्रुतापूर्ण और अपमानजनक’ कदम बताया। उनके मुताबिक, यह गठबंधन उत्तर कोरिया की बढ़ती ताकत से घबराया हुआ है। किम यो जोंग ने जोर देकर कहा कि बाहरी दबाव या रणनीति से प्योंगयांग का परमाणु रुख कभी नहीं बदलेगा। उन्होंने कहा, “शांति का रास्ता तभी खुलेगा, जब ये देश ईमानदारी से जुड़ेंगे और टकराव से बचेंगे।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया लंबे समय से अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। 2006 से अब तक उसने छह परमाणु परीक्षण किए हैं, जिनमें से चार किम जोंग उन के शासन में हुए। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उत्तर कोरिया की कुछ उन्नत अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें अमेरिकी मुख्य भूमि तक पहुंच सकती है। किम यो जोंग का यह बयान ऐसे समय आया है जब ट्रम्प ने उत्तर कोरिया के साथ कूटनीति फिर शुरू करने की इच्छा जताई थी। ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में किम जोंग उन से तीन बार मुलाकात की थी, लेकिन अब तक व्हाइट हाउस से कोई ठोस संकेत नहीं मिला है।
किम यो जोंग का यह रुख उत्तर कोरिया की सख्त नीति
किम यो जोंग का यह कड़ा रुख प्योंगयांग की सख्त होती नीति को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भविष्य की बातचीत के लिए माहौल को जटिल बना सकता है। उत्तर कोरिया की यह अडिग स्थिति क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रही है। आने वाला समय बताएगा कि क्या ट्रम्प की कूटनीति इस तनाव को कम कर पाएगी।