नई दिल्ली। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। भारत ने पाकिस्तान को औपचारिक पत्र के जरिए सूचित किया कि सीमा पार आतंकवाद के कारण संधि की शर्तें भंग हुई हैं। इस कदम से पाकिस्तान की कृषि, बिजली और जल आपूर्ति पर गंभीर असर पड़ सकता है।
संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलुज) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चिनाब) आवंटित हैं, जो भारत में उत्पन्न होने के बावजूद पाकिस्तान को 80% पानी देती हैं।
पाकिस्तान की 90% निर्भरता सिंधु बेसिन पर
पाकिस्तान की 90% सिंचाई सिंधु बेसिन पर निर्भर है, जो अर्थव्यवस्था का आधार है। संधि निलंबन से भारत अब जल प्रवाह डेटा, बाढ़ चेतावनी और नई परियोजनाओं की जानकारी साझा नहीं करेगा। इससे पाकिस्तान में सूखा या बाढ़ का जोखिम बढ़ सकता है, खासकर पंजाब और सिंध में। जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि एक बूंद पानी भी बर्बाद नहीं होगा। भारत ने दम तोड़ रहे आतंकवाद को जवाब देने के लिए यह कदम उठाया, जिसमें अटारी-वाघा सीमा बंद करना और पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित करना भी शामिल है।
पाकिस्तान ने विश्व बैंक से हस्तक्षेप की धमकी दी
पाकिस्तान ने इसे जल युद्ध और अवैध कदम बताते हुए विश्व बैंक से हस्तक्षेप की धमकी दी। विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत के आरोपों को बेबुनियाद बताया। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत तत्काल पानी नहीं रोक सकता, क्योंकि इसके लिए बड़े बांधों की जरूरत है, जो वर्षों में बनेंगे। फिर भी, सूचना साझा न करने से पाकिस्तान की फसलें, बिजली (तरबेला, मंगला जैसे संयंत्र) और शहरी जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
पाकिस्तान ने जवाबी कदम में शिमला समझौता निलंबित किया और भारतीय उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद कर दिया। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की।