नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए। इके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस हमले के बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) और कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (सीसीपीए) की आपात बैठक बुलाई। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद पहली ऐसी बैठक है। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल शामिल हुए।
हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की सहयोगी इकाई द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली। भारत ने इस हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए कई कड़े कदम उठाए, जिसमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी-वाघा सीमा बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल है। पाकिस्तान ने जवाब में भारतीय उड़ानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया और जल संधि के निलंबन को युद्ध की कार्रवाई करार दिया।
सुरक्षा बलों ने आतंकी ठिकानों पर छापेमारी तेज की
मोदी ने सशस्त्र बलों को जवाबी कार्रवाई के लिए पूर्ण स्वतंत्रता दी और कहा कि आतंकियों और उनके समर्थकों को पृथ्वी के किसी भी कोने में ढूंढकर सजा दी जाएगी। उन्होंने बिहार के मधुबनी में कहा, “भारत का संकल्प अडिग है, आतंकवाद को कुचल दिया जाएगा।” जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आतंकी ठिकानों पर छापेमारी तेज कर दी, और बांदीपोरा में तीन लश्कर से जुड़े आतंकियों को गिरफ्तार किया गया।
कई देशों ने आतंकी हमले की कड़ी निंदी की
केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर सुरक्षा खामियों को स्वीकार किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सभी दल आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, जिसमें अमेरिका, इटली, और फ्रांस शामिल हैं, ने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई। पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर लगातार पांच रातों तक गोलीबारी की, जिसका भारत ने जवाब दिया। यह स्थिति दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका को बढ़ा रही है।