नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में 16 अप्रैल 2025 को इमामों, मुअज्जिनों और मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों के साथ वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर चर्चा की। यह बैठक मुर्शिदाबाद और अन्य क्षेत्रों में इस कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद बुलाई गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। ममता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल में हिंदू-मुस्लिम विभाजन नहीं होने देंगे और शांति बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने बीजेपी पर फर्जी वीडियो फैलाकर बंगाल को बदनाम करने का आरोप लगाया।
ममता ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार इस कानून को बंगाल में लागू नहीं होने देगी, क्योंकि यह केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया है। उन्होंने कहा, “हमने इस कानून का समर्थन नहीं किया। यह बंगाल में लागू नहीं होगा।” ममता ने लोगों से शांति बनाए रखने और धर्म के नाम पर हिंसा न करने की अपील की। उन्होंने कहा कि बंगाल सभी धर्मों का तीर्थस्थल है और वह सभी समुदायों की संपत्तियों की रक्षा करेंगी। मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद, जहां पुलिस वाहनों को जलाया गया और रेल पटरियों को अवरुद्ध किया गया, कलकत्ता हाई कोर्ट ने बीएसएफ की तैनाती का आदेश दिया था।
मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप
बीजेपी ने ममता पर मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने दावा किया कि ममता की नीतियों के कारण मुर्शिदाबाद में 400 हिंदू परिवारों को पलायन करना पड़ा। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने ममता के इस बयान पर सवाल उठाया कि वह संसद द्वारा पारित कानून को लागू नहीं करेंगी। दूसरी ओर, तृणमूल नेता फिरहाद हकीम ने कहा कि इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी जाएगी। ममता ने केंद्र से सवाल किया कि उसने कितनी नौकरियां दीं, और बीजेपी पर संविधान का अपमान करने का आरोप लगाया। यह बैठक 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले तृणमूल के लिए मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।