नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले करीब एक साल से पूरे देश में जातिगत जनगणना की मांग जोर-शोर से कर रहे हैं। कांग्रेस शासित कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक दशक पहले जाति सर्वेक्षण कराया था, लेकिन पार्टी आलाकमान ने इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया है। राहुल गांधी जाति जनगणना के जरिए पूरे देश का ‘एक्स-रे’ कराने की बात कह रहे हैं, वहीं उनकी पार्टी कर्नाटक की एक्स-रे रिपोर्ट जारी करने से पीछे हट गई है।
मई 2024 में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा, “हम जाति जनगणना के माध्यम से देश का एक्स-रे करेंगे और हर वर्ग के लिए समान हिस्सेदारी सुनिश्चित करेंगे।” सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और कुछ ऊंची जाति के मंत्रियों ने गुरुवार (16 जनवरी) को कैबिनेट बैठक में जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट को पेश करने से रोकने के लिए कांग्रेस आलाकमान पर दबाव डाला।
कर्नाटक में 2015 से ही शुरू हुआ था काम
सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण को जातिगत जनगणना भी कहा जाता है। 2015 में मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया था। प्रारंभिक रिपोर्ट 2018 तक तैयार हो गई थी। लगभग आधे दशक बीत जाने के बाद भी इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो पाई है।
160 करोड़ रुपये का आया खर्च
सर्वेक्षण पर राज्य के खजाने पर 160 करोड़ रुपये का खर्च आया था। इसे कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत किया जाना था, लेकिन इसे रोक दिया गया था। आखिरी पल में यू-टर्न से इस मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर आम सहमति की कमी को कारण बताया गया है। कभी-कभी राजनीतिक बयानबाजी जमीनी स्तर पर बहुत ज्यादा गरमाने वाले मुद्दे बन सकती है।
दिल्ली में भी जातिगत जनगणना की बात
राहुल गांधी अखिल भारतीय जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं। इसे देश की सभी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के समाधान के रूप में पेश कर रहे हैं। इतना कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करते समय भी जातिगत जनगणना की बात कह रहे हैं। कांग्रेस नेता ने पार्टी की ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ नामक रैली के दौरान अखिल भारतीय जाति जनगणना के बारे में बात की।