नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया बयान ने इंडिया गठबंधन में तनाव पैदा कर दिया है। 18 जुलाई को केरल के कोट्टायम में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI-M) का वैचारिक रूप से विरोध करते हैं। उन्होंने दोनों संगठनों पर लोगों के प्रति संवेदनशीलता की कमी का आरोप लगाया।
इस बयान ने इंडिया गठबंधन के भीतर विवाद को जन्म दिया, क्योंकि CPI-M गठबंधन का हिस्सा है और विशेष रूप से केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में कांग्रेस के साथ सहयोग करती है।
राहुल के बयान पर CPI-M ने कड़ी आपत्ति जताई
राहुल के बयान पर CPI-M ने कड़ी आपत्ति जताई। CPI-M नेता एम.ए. बेबी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि RSS और CPI-M की तुलना करना गलत है, क्योंकि RSS का इतिहास विभाजनकारी और सांप्रदायिक है, जबकि CPI-M सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के लिए संघर्ष करती है। उन्होंने राहुल से अपने बयान पर स्पष्टीकरण देने की मांग की।
वहीं, कांग्रेस के कुछ नेताओं ने राहुल का बचाव किया। केरल में कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि राहुल का बयान गलत समझा गया और उनका इरादा दोनों संगठनों को समान बताने का नहीं था।
विवाद ने इंडिया गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठाए
इस विवाद ने इंडिया गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठाए हैं, खासकर तब जब गठबंधन संसद के मानसून सत्र में एकजुट रणनीति बनाने की कोशिश कर रहा है। गठबंधन की हालिया वर्चुअल बैठक में पहलगाम आतंकी हमले, डोनाल्ड ट्रम्प के भारत-पाक मध्यस्थता दावों और चुनाव आयोग की बिहार में मतदाता सूची संशोधन जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। लेकिन राहुल के बयान ने लेफ्ट नेताओं में नाराजगी पैदा की, जिससे गठबंधन की एकता कमजोर दिख रही है।
BJP ने इस मौके का फायदा उठाते हुए राहुल पर निशाना साधा और इसे कांग्रेस की ‘विभाजनकारी मानसिकता’ का सबूत बताया। इस बीच, कांग्रेस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन यह विवाद गठबंधन के लिए एक चुनौती बन गया है।