नई दिल्ली। गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया और पहली बार 85 रुपये के स्तर को पार कर गया।
यह गिरावट अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में 25 बीपीएस की कटौती और 2025 में कम दर में कटौती का संकेत देने के बाद आई है, जिससे मुद्रा पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। रुपये पहले से ही कमजोर पूंजी प्रवाह और अन्य आर्थिक चुनौतियों के कारण दबाव में है।
दो महीने में 84 से 85 तक गिरा
शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 85.0650 पर आ गया, जबकि बुधवार को यह 84.9525 पर था। रुपये में अवमूल्यन की गति हाल ही में तेज हो गई है। 84 रुपये से 85 रुपये तक गिरने में केवल दो महीने लगे। इसके विपरीत, 83 रुपये से 84 रुपये तक पहुंचने में 14 महीने लगे और रुपये को 82 रुपये से 83 रुपये तक कमजोर होने में 10 महीने लगे।
रुपये की गिरावट कोई अलग घटना नहीं है, गुरुवार को अन्य एशियाई मुद्राएं भी कमजोर हुईं। दिन के दौरान कोरियाई वोन, मलेशियाई रिंगित और इंडोनेशियाई रुपया सभी में 0.8%-1.2% की गिरावट आई।
एशियाई मुद्राओं में हुई बिकवाली
फेडरल रिजर्व के नवीनतम नीति मार्गदर्शन के बाद एशियाई मुद्राओं में बिकवाली हुई। फेड का ‘डॉट प्लॉट’, जो इसकी दर अपेक्षाओं को रेखांकित करता है, अब 2025 में केवल दो दर कटौती का अनुमान लगाता है, जो पहले सितंबर में संकेत दिया गया था उसका आधा है।
फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों ने बाजार की सावधानी को और बढ़ा दिया। उन्होंने कहा, “यहां से, यह एक नया चरण है, और हम आगे की कटौती के बारे में सतर्क रहेंगे।”