ट्रम्प के एक फैसले से शेयर बाजार ने पकड़ी रफ्तार, सेंसेक्स 1,400 अंक उछला; जानें इसकी तीन वजह

नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में जोरदार उछाल देखा गया, जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी ने शुरुआती कारोबार में शानदार बढ़त हासिल की। सुबह 9:43 बजे तक, एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 1,415.25 अंकों की छलांग के साथ 75,262.40 पर पहुंच गया, जबकि एनएसई निफ्टी50 465.90 अंकों की तेजी के साथ 22,865.05 पर कारोबार कर रहा था। यह तेजी निवेशकों के नवीन आशावाद के कारण आई, जिसका मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का 90 दिनों के लिए अधिकांश नए टैरिफ को निलंबित करने का फैसला था। इस कदम ने वैश्विक बाजारों को राहत दी, खासकर भारत जैसे देशों को, जो अब तक अमेरिका-चीन व्यापार विवाद से अपेक्षाकृत अछूते रहे हैं।

इस रैली से न केवल प्रमुख सूचकांकों में तेजी आई, बल्कि छोटे और मझोले शेयरों में भी प्रभावशाली लाभ देखा गया। बाजार में अस्थिरता कम होने और जोखिम लेने की क्षमता बढ़ने से व्यापक बाजार खंडों में भी सकारात्मक माहौल बना। विशेषज्ञों ने निवेशकों के लिए तीन प्रमुख बातों पर ध्यान देने की सलाह दी है।

दिन के दौरान उतार-चढ़ाव रह सकता है

पहला, ट्रम्प के टैरिफ निलंबन से वैश्विक बाजारों में राहत मिली है, लेकिन यह अस्थायी हो सकती है। दूसरा, निफ्टी के लिए 23,140 का स्तर पार करना तेजी की गति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, जबकि 22,350 से नीचे गिरावट कमजोरी का संकेत दे सकती है। तीसरा, वैश्विक संकेतों और घरेलू घटनाओं के आधार पर दिन के दौरान उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।

विशेषज्ञ सतर्क रहने की सलाह दे रहे

बाजार विश्लेषक आनंद जेम्स ने चेतावनी दी कि निफ्टी को 22,850 से ऊपर टिके रहना होगा, वरना कमजोरी फिर से उभर सकती है। वहीं, विजयकुमार जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा अनिश्चितता में निरंतर रैली की गुंजाइश कम है, लेकिन भारत की मजबूत मैक्रोइकॉनमिक स्थिति और व्यापार युद्ध से सीमित प्रभाव इस रैली को समर्थन दे रहे हैं। शुक्रवार की इस तेजी ने निवेशकों में आत्मविश्वास जगाया, लेकिन विशेषज्ञ सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं।

अमेरिकी और एशियाई बाजारों में दिखी मजबूती

यह उछाल वैश्विक बाजारों के साथ तालमेल में था, जहां अमेरिकी और एशियाई बाजारों में भी मजबूती दिखी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह उत्साह अल्पकालिक हो सकता है और निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। भारत के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन वैश्विक व्यापार जोखिमों के पूरी तरह खत्म न होने के कारण सतर्कता जरूरी है।

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