नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में होने वाली विशेष चर्चा में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, थरूर ने पार्टी की आलोचनात्मक रुख का पालन करने से भी मना किया, क्योंकि वह इस सैन्य कार्रवाई को सफल मानते हैं। यह चर्चा 28 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के दौरान हो रही है, जिसमें 16 घंटे तक पाहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस होगी।
थरूर, जो पहले ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की वैश्विक कूटनीतिक पहल का नेतृत्व कर चुके हैं, ने विदेशों में इस कार्रवाई का समर्थन किया था। उन्होंने इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत प्रतिक्रिया बताया। हालांकि, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना करने की रणनीति अपनाई, खासकर खुफिया विफलताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता दावों को लेकर।
कांग्रेस ने थरूर से पार्टी लाइन का पालन करने को कहा
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व ने थरूर से इस चर्चा में हिस्सा लेने और पार्टी लाइन का पालन करने को कहा, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह ऑपरेशन सिंदूर को राष्ट्रीय हित में देखते हैं।
इससे पहले, थरूर की सरकार समर्थक टिप्पणियों ने पार्टी के भीतर विवाद खड़ा किया था। कुछ नेताओं ने उनके रुख को ‘लक्ष्मण रेखा पार करने’ जैसा बताया। थरूर ने स्पष्ट किया कि वह एक भारतीय नागरिक के रूप में बोल रहे थे, न कि पार्टी के प्रवक्ता के रूप में। उनकी अनुपस्थिति से कांग्रेस और उनके बीच बढ़ती दूरी फिर से उजागर हुई है।
लोकसभा में राहुल गांधी, गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे नेता चर्चा में हिस्सा लेंगे। दूसरी ओर, सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चर्चा की शुरुआत करेंगे। वहीं, थरूर की अनुपस्थिति ने राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है कि क्या वह भविष्य में पार्टी छोड़ सकते हैं।