नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के हालिया बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। 19 जुलाई को केरल के तिरुवनंतपुरम में एक कार्यक्रम के दौरान थरूर ने कहा कि राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ काम करने पर कभी-कभी उनकी अपनी पार्टी (कांग्रेस) को लगता है कि वह वफादार नहीं हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह देश को पहले रखते हैं, भले ही इससे उनकी पार्टी को असहजता हो। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब इंडिया गठबंधन के भीतर पहले से ही तनाव चल रहा है, खासकर राहुल गांधी के RSS और CPI-M की तुलना वाले बयान के बाद।
थरूर ने कहा कि वह अपनी राय बेबाकी से रखते हैं, भले ही यह पार्टी लाइन से मेल न खाए। उन्होंने उदाहरण दिया कि वह आर्थिक नीतियों और विदेश नीति जैसे मुद्दों पर स्वतंत्र विचार रखते हैं, जो हमेशा कांग्रेस की आधिकारिक स्थिति से मेल नहीं खाते। थरूर का यह बयान कांग्रेस के भीतर आंतरिक मतभेदों को उजागर करता है, खासकर तब जब पार्टी विपक्षी गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
BJP ने थरूर के बयान को कांग्रेस की कमजोरी बताया
BJP ने थरूर के बयान को कांग्रेस की कमजोरी के रूप में पेश किया। BJP प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि थरूर का बयान कांग्रेस में नेतृत्वहीनता और वैचारिक भटकाव को दर्शाता है। वहीं, कांग्रेस के कुछ नेताओं ने थरूर के बयान को व्यक्तिगत राय बताकर मामले को कम करने की कोशिश की। AICC महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि थरूर की टिप्पणी को संदर्भ से बाहर नहीं देखा जाना चाहिए और पार्टी में सभी को अपनी राय रखने की आजादी है।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब इंडिया गठबंधन संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है। थरूर के बयान ने गठबंधन की एकता पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि यह कांग्रेस के भीतर और गठबंधन के सहयोगियों के बीच समन्वय की कमी को उजागर करता है।