तिरुवनंतपुरम। केरल के नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अनुपस्थिति ने पार्टी के भीतर विवाद को जन्म दिया है। थरूर ने 19 जून को दावा किया कि उन्हें कांग्रेस नेतृत्व ने उपचुनाव के लिए प्रचार में शामिल होने का निमंत्रण नहीं दिया। उन्होंने कहा, “मुझे न तो बुलाया गया और न ही कोई मिस्ड कॉल मिला।”
हालांकि, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) अध्यक्ष सनी जोसेफ ने स्पष्ट किया कि थरूर का नाम चुनाव आयोग को सौंपे गए 40 स्टार प्रचारकों की सूची में 8वें स्थान पर था। जोसेफ ने कहा कि थरूर उस समय विदेश में आधिकारिक दौरे पर व्यस्त थे, जिसके कारण शायद संवाद में कमी रही।
थरूर ने पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेद होने की बात स्वीकारी
थरूर ने पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेद होने की बात स्वीकारी, लेकिन कहा कि वह इन मुद्दों को पार्टी के भीतर ही सुलझाएंगे। उनकी अनुपस्थिति की वजह हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत-पाकिस्तान तनाव पर वैश्विक जागरूकता के लिए अमेरिका सहित पांच देशों की यात्रा थी, जहां उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की सराहना की थी। इससे कुछ कांग्रेस नेताओं में नाराजगी थी, क्योंकि थरूर ने यूपीए सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक को उजागर नहीं किया।
नीलांबुर उपचुनाव में कांग्रेस ने आर्यदन शौकत को उम्मीदवार बनाया
नीलांबुर उपचुनाव में कांग्रेस ने आर्यदन शौकत को उम्मीदवार बनाया, जबकि LDF ने एम स्वराज और तृणमूल कांग्रेस के समर्थन से पीवी अनवर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। थरूर ने शौकत को शुभकामनाएं दीं और कहा कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का प्रयास सफल हो। जोसेफ ने कहा कि प्रचार का जिम्मा स्थानीय नेताओं और विधायकों को सौंपा गया था, और थरूर को विशेष रूप से आमंत्रित करने की परंपरा नहीं है।
यह विवाद थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच पहले से मौजूद तनाव को उजागर करता है। कुछ नेताओं ने थरूर पर बीजेपी के प्रवक्ता की तरह काम करने का आरोप लगाया। थरूर ने अपनी वफादारी कांग्रेस के मूल्यों के प्रति दोहराई, लेकिन नीलांबुर उपचुनाव का परिणाम (23 जून) उनके और पार्टी के रिश्तों को प्रभावित कर सकता है।