पटना। पटना में 28 मई को चार और लोगों के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद शहर में कुल मरीजों की संख्या 10 हो गई है। पटना के जिला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि सभी मरीजों में संक्रमण का स्तर बहुत हल्का है और उनकी निगरानी की जा रही है। सभी आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। अधिकारियों ने नागरिकों से सतर्क रहने, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं होने की अपील की है।
ये नए मामले बिहार में कोविड-19 की स्थिति पर फिर से ध्यान खींच रहे हैं, जहां पहले भी महामारी की कई लहरों ने स्वास्थ्य ढांचे को चुनौती दी थी। 2021 में पटना के प्रमुख अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी देखी गई थी, जब सैकड़ों चिकित्साकर्मी भी संक्रमित हो गए थे। उस समय, पटना मेडिकल कॉलेज, नालंदा मेडिकल कॉलेज, और एम्स पटना जैसे अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने में कठिनाई हुई थी।
वर्तमान स्थिति 2021 की तुलना में कम गंभीर
हालांकि, वर्तमान स्थिति 2021 की तुलना में कम गंभीर है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, मरीजों की स्थिति स्थिर है, और अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था की गई है। बिहार में पहले भी कम टेस्टिंग के कारण आलोचना हुई थी, लेकिन अब टेस्टिंग क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। 2020 में, बिहार में प्रति मिलियन केवल 2,197 टेस्ट किए जा रहे थे, जो देश में सबसे कम था।
बिहार सरकार ने भी स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के कदम उठाए
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 अब एक स्थानिक बीमारी बन चुकी है और भविष्य में मामले बढ़ सकते हैं। पूर्व डब्ल्यूएचओ वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने सुझाव दिया है कि डेटा संग्रह और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी महत्वपूर्ण है। नागरिकों से मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और लक्षण दिखने पर टेस्ट कराने की सलाह दी गई है। बिहार सरकार ने भी स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं, ताकि किसी भी संभावित वृद्धि से निपटा जा सके।
यह स्थिति नागरिकों और प्रशासन के लिए एक अनुस्मारक है कि कोविड-19 का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। लोगो से सावधानी बरतने और स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया गया है।