नई दिल्ली। अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद एक नया विवाद सामने आया है। लंदन के लिए उड़ान भरने वाले बोइंग 787 ड्रीमलाइनर (उड़ान AI171) के दुर्घटनाग्रस्त होने से 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों सहित 260 लोगों की मौत हुई थी। अब, ब्रिटिश परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील जेम्स हीली-प्रैट ने दावा किया है कि अहमदाबाद के एक सरकारी अस्पताल ने दो परिवारों को गलत शव भेज दिए। इस गलती के कारण यूके में अंतिम संस्कार रद्द करने पड़े।
हादसे के बाद शवों की पहचान के लिए अहमदाबाद सिविल अस्पताल में डीएनए परीक्षण किए गए, क्योंकि ज्यादातर शव जलकर क्षत-विक्षत हो गए थे। सूत्रों के अनुसार, शवों को सील बंद ताबूतों में परिवारों को सौंपा गया था, और एयर इंडिया की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। गलती तब सामने आई जब लंदन के कोरोनर ने डीएनए मिलान के जरिए शवों की पहचान की जांच की। एक मामले में, एक ताबूत में एक से अधिक व्यक्तियों के अवशेष पाए गए, जिसे कमिंगल्ड बताया गया।
शवों की पहचान प्रोटोकॉल के तहत: विदेश मंत्रालय
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि शवों की पहचान स्थापित प्रोटोकॉल के तहत की गई और मृतकों की गरिमा का ध्यान रखा गया। मंत्रालय ने यूके के साथ मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने का भरोसा दिया है। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि प्रक्रिया वैज्ञानिक आधार पर की गई थी।
इस हादसे में 53 ब्रिटिश नागरिकों की मौत हुई थी, और 12 शव यूके भेजे गए थे। एकमात्र जीवित बचे विशवशकुमार रमेश ने अस्पताल से अपनी आपबीती साझा की। इस गलती ने पीड़ित परिवारों के दुख को और बढ़ा दिया है, और वे जांच की मांग कर रहे हैं।