नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। इस हमले के बाद भारत ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए और उन्हें 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया। इसके तहत अटारी-वाघा सीमा के रास्ते 786 पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजा गया। इनमें मोहम्मद ओसामा भी शामिल है, जो 17 साल से भारत में रह रहा था और उसके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज थे।
ओसामा ने बताया कि वह 2008 में वैध वीजा के साथ भारत आया था। उसने भारत में 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की और स्नातक की डिग्री हासिल कर सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने की तैयारी कर रहा था। अटारी सीमा पर उसने कहा, “मैंने यहां वोट डाला, मेरे पास राशन कार्ड है। 17 साल बाद मुझे वापस भेजा जा रहा है। मेरा भविष्य वहां क्या होगा?” उसने सरकार से समय और मानवीय दृष्टिकोण की अपील की। उसने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए इसे शर्मनाक बताया।
40 साल से भारत में रह रही परवीन को जाना पड़ा पाकिस्तान
इसके अलावा, 40 साल से भारत में रह रही परवीन अख्तर को भी वापस भेजा गया। उनके तीन बच्चों ने भारत में पढ़ाई की, फिर भी उन्हें निर्वासित किया गया। एक अन्य महिला इरम को अपने आठ साल के बेटे से अलग होना पड़ा, क्योंकि उनके पति और बेटे को भारत में रहने की अनुमति थी।
भारत ने अटारी-वाघा सीमा बंद कर दी
पहलगाम हमले, जिसकी जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की सहयोगी टीआरएफ ने ली, के बाद भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित कर दी और अटारी-वाघा सीमा बंद कर दी। ओसामा के दस्तावेजों ने सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को उजागर किया, जिस पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने चिंता जताई। यह घटना भारत-पाकिस्तान संबंधों में नए तनाव का कारण बन रही है।