नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया, जिसका विपक्षी सांसदों ने विरोध किया और इसे कठोर और धार्मिक आधार पर देश को विभाजित करने का प्रयास बताया। सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि वक्फ बोर्ड पर माफिया ने कब्जा कर लिया है और उसने किसी भी धार्मिक निकाय की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया है।
विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम करने का प्रस्ताव है और इसका उद्देश्य केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है।
विपक्ष ने बताया बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक कठोर और संविधान पर मौलिक हमला है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक समुदायों के बीच धार्मिक विभाजन और नफरत पैदा करेगा। उन्होंने कहा, “प्रत्येक मस्जिद में विवाद होता है जहां कोई काम नहीं होता है। आपका मूल विचार संघर्ष पैदा करना और समुदायों के बीच गुस्सा पैदा करना और हर जगह हिंसा करना है।”
बिल को विधानसभा चुनाव से जोड़ा
वेणुगोपाल ने वक्फ बिल को महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ा। कांग्रेस नेता ने कहा, “यह विधेयक संविधान पर एक मौलिक हमला है। इस विधेयक के माध्यम से, वे एक प्रावधान डाल रहे हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे।” विधेयक को धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताते हुए वेणुगोपाल ने केंद्र की आलोचना करते हुए कहा, “इसके बाद आप ईसाईयों के लिए जाएंगे, फिर जैनों के लिए। भारत के लोग अब इस तरह की विभाजनकारी राजनीति को स्वीकार नहीं करेंगे।”