नई दिल्ली। गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, हर साल दीपावली के एक दिन बाद मनाई जाती है। इस साल, गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह पर्व विशेष रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, खासकर उत्तर प्रदेश, जहां यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।
गोवर्धन पूजा की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 1 नवबंर यानी आज शाम को 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 2 नवंबर यानी कल रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, इस बार गोवर्धन और अन्नकूट का त्योहार 2 नवंबर को ही मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की घटना की याद दिलाना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने व्रजवासियों को इन्द्रदेव के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब उन्होंने यह सिखाया कि प्रकृति का संरक्षण करना कितना महत्वपूर्ण है। यह त्योहार पृथ्वी और उसके संसाधनों के प्रति आभार व्यक्त करने का एक माध्यम है और हमें प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करने की प्रेरणा देता है।
गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा की रिवाजों में कई महत्वपूर्ण गतिविधियां शामिल हैं:
अन्नकूट का भोग: इस दिन विशेष रूप से 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है। इसे अन्नकूट कहते हैं और इसे पूजा के बाद प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
गोवर्धन पर्वत की पूजा: लोग गोबर, मिट्टी या पत्थरों से गोवर्धन पर्वत के छोटे नमूने बनाते हैं और उन पर फूल, दीपक और अन्य सजावट करते हैं। लोग इस पर दूध और दही भी अर्पित करते हैं, जो गायों के प्रति सम्मान का प्रतीक है।
गो माता की पूजा: गायों को इस दिन विशेष पूजा और सम्मान दिया जाता है। उन्हें साफ-सुथरा किया जाता है, सजाया जाता है और उनके लिए विशेष खाद्य सामग्री तैयार की जाती है।
गोवर्धन परिक्रमा: भक्त लोग गोवर्धन पर्वत के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, जिसे गोवर्धन परिक्रमा कहते हैं। यह प्रथा 23 किलोमीटर की होती है और इसे शुभ माना जाता है।
दीप जलाना: घरों और मंदिरों में दीप जलाने की परंपरा भी इस दिन की जाती है, जो प्रकाश की विजय और अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्सव
भारत के अलग-अलग हिस्सों में गोवर्धन पूजा मनाने के तरीके भिन्न हो सकते हैं। गुजरात में इसे ‘बेस्टू बरस’ के रूप में मनाते हैं, जो गुजराती नववर्ष का पहला दिन होता है, जबकि महाराष्ट्र में इसे ‘बाली प्रतिपदा’ के रूप में मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और पंजाब में, लोग मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं और विशेष आयोजन करते हैं।
गोवर्धन पूजा केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमें प्रकृति की कद्र करना और उसका संरक्षण करने का संदेश भी देती है। इस दिन हम सभी को प्राकृतिक संसाधनों के प्रति अपने कर्तव्यों का स्मरण दिलाती है।